केरल में माओवादियों से संपर्क रखने के आरोप में सीपीआई(एम) के दो कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी से पार्टी राजनीतिक असमंजस की स्थिति में है। ये गिरफ्तारियां ऐसे समय में हुईं जब गृह विभाग ने नोर्थ केरल में माओवादियों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया। बताया जाता है कि जिन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है वो वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित थे। खास बात है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के मातहत काम करने वाला गृह विभाग ने माओवादी प्रभावित जिलों के लिए विशेष वित्तीय सहायता के लिए योग्य बनने के बाद से माओवादी खतरे से निपटने के लिए अपना दृढ़ संकल्प बनाए रखा है। हालांकि इस बीच मामले में कथित तौर पर लेफ्ट का दोहरा रुख भी सामने आया है। दरअसल CPI(M) उन पार्टी कैडरों का समर्थन कर रही है जिन्हें संदिग्ध माओवादी लिंक के साथ गिरफ्तार किया गया है। पुलिस कार्रवाई की निंद करते हुए सीपीआईएम ने पहले ही आरोपियों के लिए कानूनी सहायता व्यवस्था कर दी है।
दरअसल, पुलिस ने हाल के दिनों में कानून और मीडिया के छात्रों एलन शुहाब (20) और थाह फाजिल (24) को यह कहते हुए गिरफ्तार कर लिया कि वे माकपा की आड़ में माओवादियों संग काम कर रहे थे। एफआईआर के मुताबिक दोनों ने माओवादी होने की बात भी कबूल की है और उन्होंने आतंक विरोधी कानून UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया है। ऐसे में राजनीतिक रूप से UAPA के तहत गिरफ्तारी पर सीपीआईएम नीत एलडीएफ वेट-एंड-वॉच का रुख अपना कठिन होगा क्योंकि मुस्लिम संगठनों ने पहले ही इन गिरफ्तारियों को अपना समर्थन दिया है। ऐसे में पार्टी कैडरों के बीच आगे की पुलिस कार्रवाई पर माकपा के लिए और अधिक संकट होने की संभावना है।
क्रांतिकारी मार्क्सवादी पार्टी ऑफ इंडिया की सेंट्रल कमिटी के सदस्य केएस हरीहरन ने कहा कि CPI(M) के कैडर का एक छोटा सा हिस्सा माओवाद की तरफ आकर्षित हुआ है। उन्होंने कहा, ‘विद्रोही दिमाग वाले युवा कम्युनिस्टों को वर्तमान पार्टी और उसके शासन के संदर्भ में लाना खासा मुश्किल होगा। इन दिनों एलडीएफ सरकार नीति या मुद्दों के दृष्टिकोण के मामले में किसी भी अन्य सरकार से अलग नहीं है। सरकार में वामपंथी पहचान की कमी को लेकर कैडरों का एक वर्ग असंतुष्ट है और ऐसे तत्वों के माओवादी के और प्रभावित होने की आशंका है।’
इसी बीच सीपीआईएम के पोलित ब्यूरो सदस्य एमए बेबी ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं के माओवाद की ओर प्रभावित होने की भयावह घटनाएं हो सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘एसएफआई और डीवाईएफआई का अभी युवाओं के बीच काफी बोलबाला है। मगर ऐसी परिस्थितियां हो सकती हैं जिनमें कैडर पार्टी लाइन से भटक गए हों।’ एसएफआई और डीवाईएफआई, सीपीआईएम की छात्र ईकाई और युवा संगठन है। उन्होंने आगे कहा कि माओवादी लिंक के आरोप सच होने पर पार्टी इस पर गौर करेगी। वर्तमान में गिरफ्तार किए गए माओवादी लिंक सिर्फ पुलिस का संस्करण है।