Army Court Martial: महिला अधिकारी से यौन उत्पीड़न मामले में सेना कोर्ट मार्शल ने त्वरित और कड़ी कार्रवाई की है। महिला कैप्टन के यौन उत्पीड़न के दोषी पाए गए एक गैर-कमीशन अधिकारी (एनसीओ) के लिए सेवा से बर्खास्तगी और एक साल की जेल की सजा की सिफारिश की है।
यह घटना पिछले साल उस वक्त हुई थी, जब महिला अधिकारी 17 माउंटेन डिवीजन क्षेत्र में रिवर राफ्टिंग कोर्स के लिए सिक्किम आई थी, जहां वह एक आधिकारिक आवास में रह रही थी।

सेना के अधिकारियों ने कहा कि सिक्किम में 17 माउंटेन डिवीजन द्वारा बुलाई गई कोर्ट मार्शल में हवलदार पर सैन्य नर्सिंग सेवा से संबंधित महिला अधिकारी की शील भंग करने का प्रयास करते हुए आपराधिक बल का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है।

एनसीओ के खिलाफ दूसरा आरोप यह था कि अधिकारी के कमरे में जबरन घुसने के बाद उसने ‘sexually colored’ वाली टिप्पणी की। घटना के बाद महिला अधिकारी कमरे से भागने में सफल रही और मामले की शिकायत वहां के अधिकारियों से की। सेना के अधिकारियों ने त्वरित कार्रवाई की और एनसीओ को एक परीक्षण प्रक्रिया के माध्यम से रखा गया जहां उन्हें दोषी पाया गया।

कोर्ट मार्शल सिक्किम में 617 ईएमई बटालियन में हुआ और जवान को पिछले हफ्ते सेवा से बर्खास्त करने के साथ-साथ एक साल की जेल की सजा का सामना करने की सिफारिश की गई है। मामले में प्रेसीडेंट ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक शाही थे, जबकि अभियोजन पक्ष के वकील वकील अक्षित आनंद थे।

साल 2018 में मेजर जनरल को कर दिया गया था बर्खास्त

दिसबंर, 2018 में पूर्वोत्तर भारत में भारतीय सेना के कई बड़े सैन्य ऑपरेशनों में अहम भूमिका निभाने वाले एक मेजर जनरल को बर्खास्त कर दिया गया था। मेजर जनरल के खिलाफ कैप्टन रैंक की महिला अधिकारी के यौन उत्पीड़न का आरोप 2016 का है, जब वह पूर्वोत्तर भारत में नियुक्ति पर थे। नागालैंड में पूर्वी कमांड के तहत असम राइफल्स में चंडीमंदिर पर नियुक्ति के दौरान कैप्टन रैंक की अधिकारी ने उनके खिलाफ सेना की जज एडवोकेट जनरल शाखा को लिखित शिकायत की थी।

साल 2007 में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था

ऐसा ही एक मामला साल 2007 का है। जब एक महिला अधिकारी के आरोप पर एक मेजर जनरल को सेना छोड़नी पड़ी थी। उस अधिकारी पर आरोप था कि महिला अधिकारी को योग सिखाने के नाम पर उसने कई बार जानबूझकर गलत जगह छुआ था।

बता दें, नैतिकता और वित्तीय हेराफेरी के मामलों में भारतीय सेना बहुत सख्त रही है। पिछले कुछ वर्षों में इन मामलों में कई अधिकारियों और पुरुषों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।