दिल्ली में आयोजित डिफेंस डायलॉग 2025 में भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने आधुनिक युद्ध, तकनीकी क्रांति और मानवीय दृष्टिकोण के नए संतुलन पर विस्तार से विचार रखे। उन्होंने कहा कि भविष्य का युद्ध केवल मशीनों या डेटा पर नहीं, बल्कि “टेक्नोलॉजी और जमीन के मेल” पर आधारित होगा — जहां मानवीय सोच और तकनीकी शक्ति साथ-साथ काम करेंगी।

जनरल द्विवेदी ने कहा कि भारत की भौगोलिक स्थिति यह तय करती है कि जमीन हमेशा ‘विजय की मुद्रा’ बनी रहेगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि चाहे किसी भी युग में युद्ध लड़ा जाए, अंतिम फैसला जमीन पर ही होता है। “तकनीक का असली उद्देश्य सैनिकों को जमीन पर लाभ पहुंचाना है—चाहे वह कब्जा हो, रक्षा हो या रणनीतिक नियंत्रण,” उन्होंने कहा। उनका मानना है कि भविष्य के युद्ध में “स्मार्ट बूट्स ऑन ग्राउंड” और “बॉट्स” यानी सैनिक और रोबोट साथ काम करेंगे—“माइंड इन द क्लाउड, आइज इन द स्काई” की तरह। हालांकि उन्होंने चेताया कि तकनीक कभी-कभी विफल भी हो सकती है, इसलिए सेना को बिना तकनीक के भी युद्ध लड़ने में सक्षम रहना होगा।

दुनिया अब इंडस्ट्री 4.0 से आगे बढ़कर इंडस्ट्री 5.0 की ओर जा रही है

थल सेनाध्यक्ष ने बताया कि दुनिया अब इंडस्ट्री 4.0 से आगे बढ़कर इंडस्ट्री 5.0 की ओर जा रही है, जहां मशीनें इंसान की जगह नहीं लेंगी बल्कि उसकी क्षमता बढ़ाएंगी। उन्होंने कहा, “हम ‘ह्यूमन एम्प्लीफाइड बाय एआई’ की दिशा में बढ़ रहे हैं, जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सैनिकों की सोच और निर्णय को सशक्त बनाएगा, न कि प्रतिस्थापित करेगा।” उन्होंने इस दिशा में रचनात्मकता, संवेदनशीलता और समस्या समाधान जैसी मानवीय क्षमताओं को सबसे अहम बताया।

जनरल द्विवेदी ने बताया कि दुनिया टेक्नोलॉजी जेनरेशन-7 की ओर बढ़ रही है — जहां 7-नैनोमीटर माइक्रोचिप, मोबाइल और गेमिंग कंसोल जैसी तकनीकें मिलकर नई संभावनाएं खोल रही हैं। उन्होंने कहा कि इन सभी तकनीकों को भारतीय सेना के संचालन तंत्र से जोड़ना होगा ताकि अधिकतम सामरिक लाभ लिया जा सके। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि फिलहाल “लेगेसी सिस्टम्स” यानी पुराने ढांचे कुछ सालों तक बने रहेंगे, इसलिए उन्हें उन्नत बनाना जरूरी है।

उन्होंने चेताया कि 2027 तक एआई क्षेत्र में 23 लाख नौकरियों की मांग होगी, जबकि प्रशिक्षित विशेषज्ञों की संख्या मात्र 12 लाख के आसपास रहेगी। “अगर सेना को यह तकनीक बाहरी कंपनियों से लेनी पड़ी, तो यह महंगा सौदा साबित होगा,” उन्होंने कहा। इसके समाधान के रूप में उन्होंने स्कूलों और सैन्य संस्थानों में एआई शिक्षा को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता बताई।

सेना प्रमुख ने बताया कि नई डिफेंस एक्विजिशन प्रोसीजर (DAP) लगभग तैयार है और अगले वित्त वर्ष से लागू की जाएगी। हालांकि उन्होंने माना कि कुछ आवश्यक तकनीकें अभी देश में विकसित नहीं हुई हैं, इसलिए अगले चार-पांच साल तक कुछ आयात जारी रहेंगे। उन्होंने साइबर और डेटा कमजोरियों को भी प्रमुख चुनौती बताया, लेकिन भरोसा जताया कि आने वाले समय में इन खामियों को दूर कर भारत की रक्षा प्रणाली और मजबूत बनाई जाएगी।