भारत ने तीनों सेनाओं के संयुक्त सैन्य स्टेशन बनाने का फैसला किया है। यह देशभर में अपनी तरह का पहला ऐसा स्टेशन होगा। वहीं, थिएटर कमांड के निर्माण से पहले सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच एकजुटता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। इसके तहत उपकरणों का स्टैंडेराइजेशन, लॉजिस्टिक के लिए कॉमन सप्लाई चेन , सभी स्तरों पर संयुक्त प्रशिक्षण, अधिक क्रॉस-पोस्टिंग, अन्य सेवाओं का अनुभव और कर्मियों के बीच बेहतर सामाजिक संपर्क।
इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के अनुसार, इस महीने की शुरुआत में कोलकाता में हुए संयुक्त कमांडर सम्मेलन में इनमें से कुछ उपायों पर चर्चा हुई थी, जिसमें प्रधानमंत्री ने भी भाग लिया था। सूत्रों के अनुसार, सशस्त्र बल एक-दूसरे की क्षमताओं और चुनौतियों के बारे में अपनी समझ को बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं ताकि तीनों सेनाओं की ज़रूरतों को शुरू से ही समझा जा सके।
तीनों सेनाओं के बीच एकजुटता बढ़ाने के लिए उठाए जा रहे कदम
यह थिएटर कमांड जैसे किसी भी बड़े सुधार के लागू होने से पहले तीनों सेनाओं के बीच एकीकरण बढ़ाने के व्यापक उपायों का एक हिस्सा है। हालांकि, तीनों सेनाओं के बीच थिएटर कमांड के निर्माण पर अभी आम सहमति नहीं बन पाई है। यह कदम पिछले हफ़्ते कोलकाता में हुए संयुक्त कमांडर सम्मेलन में घोषित निर्णयों के बाद उठाया गया है, जिसमें पहले चरण में एक त्रि-सेवा शिक्षा कोर का गठन और तिरुवनंतपुरम, विशाखापत्तनम और गांधीनगर में तीन संयुक्त सैन्य स्टेशनों की स्थापना शामिल है।
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एक-दूसरे की क्षमताओं और चुनौतियों को समझने में जुटे सशस्त्र बल
इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के मुताबिक, अब सभी स्तरों पर इंटर-सर्विस ट्रेनिंग पर ज़्यादा ज़ोर दिया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी कर्मचारी एक-दूसरे के उपकरणों और क्षमताओं से परिचित हों और उनका बेहतर इस्तेमाल कर सकें। एक सूत्र ने बताया, “यह ज्ञान ऑपरेशनल प्लानिंग में अहम भूमिका निभाएगा जिसमें शुरुआत से ही तीनों सेनाओं की ज़रूरतों और क्षमताओं को शामिल किया जाएगा।”
सेना से जुड़ी रिक्तियों और पाठ्यक्रमों में फेरबदल किया जा रहा है ताकि तीनों सेनाओं के कर्मी एक साथ प्रशिक्षण ले सकें, योगदान दे सकें और एक-दूसरे से सीख सकें। तीनों सेनाओं के संचार नेटवर्क को भी निर्बाध संचार और डेटा-शेयरिंग के लिए विस्तारित करने की योजना है। सभी स्तरों पर इंटर-सर्विस नियुक्तियों में वृद्धि की जानी है। इसके साथ ही, उपकरणों और प्लेटफार्मों के मानकीकरण के प्रयास भी चल रहे हैं ताकि अंतर-संचालन सुनिश्चित हो सके, आपूर्ति श्रृंखलाओं और पुर्जों के प्रबंधन को सुव्यवस्थित किया जा सके। सूत्रों के अनुसार, वार्षिक गोपनीय रिपोर्टों के प्रारूप में भी बदलाव पर विचार किया जा रहा है ताकि वे सेवा-विशिष्ट और तीनों सेनाओं की आवश्यकताओं को प्रतिबिंबित कर सकें।
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