भारत के दवा नियामक ने मॉडर्ना के कोविड-19 टीके को सीमित आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। आधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। मॉडर्ना ने एक अलग पत्र में सूचना दी है कि अमेरिका ने यहां उपयोग के लिए कोविड-19 के अपने टीके की एक विशेष संख्या में खुराक ‘कोवैक्स’ के जरिए भारत सरकार को दान में देने की सहमति दी है।

साथ ही, उसने इसके लिए केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से मंजूरी मांगी थी। वहीं, भारतीय बहुराष्ट्रीय औषधि कंपनी सिपला ने अमरिकी फार्मा कंपनी की ओर से इन टीकों के आयात और विपणन की अनुमति मांगी थी। उल्लेखनीय है कि कोवैक्स कोविड-19 के टीके के न्यायसंगत वितरण के लिए एक वैश्विक पहल है। बताते चलें कि सीडीएससीओ भारत में महामारी की स्थिति को देखते हुए जनहित में इस देश में आपात उपयोग के लिए सिपला को कोविड-19 के मॉडर्ना के टीके के आयात की अनुमति देने के पक्ष में था।

सिपला ने सोमवार को एक आवेदन देकर इस टीके के आयात की अनुमति मांगी थी। उसने 15 अप्रैल और एक जून के डीसीजीआई नोटिस का हवाला दिया है। नोटिस में कहा गया था कि यदि टीके को आपात उपयोग अधिककार (ईयूए) के लिए अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएसएफडीए) द्वारा अनुमति दी जाती है, तो टीके को बिना ‘ब्रिजिंग ट्रायल’ के विपणन का अधिकार दिया जा सकता है। इसके अलावा, हर खेप को केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल), कसैली से जांच कराने की जरूरत की छूट मिल सकती है।

गौरतलब है कि अमेरिका ने कोविड-19 महामारी से निपटने में भारत की मदद करने और भविष्य में स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियों के लिए देश की तैयारियों को बेहतर बनाने के लिए 4.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर की अतिरिक्त सहायता देने की घोषणा की है। इसके साथ ही कोरोना वायरस महामारी का मुकाबला करने के लिए अमेरिकी द्वारा दी गई कुल सहायता 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक हो जाएगी।

भारत में अप्रैल और मई के दौरान प्रतिदिन संक्रमण के तीन लाख से अधिक नए मामले आ रहे थे। इस दौरान अस्पताल मेडिकल ऑक्सीजन और बिस्तर की कमी से जूझ रहे थे। यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएड) ने सोमवार को कहा, ‘‘भारत जरूरत के समय संयुक्त राज्य की सहायता के लिए आगे आया था, और अब संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के लोगों के साथ खड़ा है, जो कोविड-19 महामारी से जूझ रहे हैं।’’