बीकेयू के अनिल तलान ने टाइम्स नाओ पर डिबेट के दौरान कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा किसान उसका सम्मान करता है लेकिन कोर्ट ने जो समिति बनाई थी वह किसानों के अधिकारों को खत्म करने वाली थी। सुप्रीम कोर्ट को किसानों की मांग को ध्यान में रखते हुए ही समिति बनानी चाहिए थी। बता दें कि आज सुप्रीम कोर्ट ने उसके द्वारा बनाई गई समिति की आलोचना करने वालों को लताड़ा। वहीं किसानों और सरकार के बीच होने वाली बातचीत फिर से बेनतीजा रही। सरकार और किसान फिर से बातचीत के लिए 22 जनवरी को मिलेंगे।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने यह समिति 2 हफ्ते पहले बनाई थी जिससे कि केंद्र सरकार और किसानों के बीच कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध को खत्म किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि इस समिति के पास कृषि कानूनों को लेकर कोई शक्तियां नहीं है कि वे कानून पर फैसला ले सकें। समिति का गठन सभी पक्षों को सुनने के लिए किया गया है। साथ ही समिति को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। इसमें पक्षपात की बात कहां से आई। समिति सदस्यों पर आरोप लगाना और उनको बदनाम करने की कोशिश करना गलत है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी जवाब मांगा है कि क्यों समिति का गठन दोबारा से किया जाना चाहिए। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों को लागू किए जाने पर रोक लगा दी थी। मालूम हो कि दिल्ली की सीमा पर डटे किसान केंद्र द्वारा लाए गए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं और वह चाहते हैं कि सरकार कानूनों को वापिस ले।

इससे पहले प्रदर्शनकारी किसानों समेत विपक्ष ने समिति को लेकर सवाल खड़े किए थे। आरोप लगाए जा रहे थे कि समिति के सदस्य पहले ही कानून के पक्षधर हैं ऐसे में किसानों को इस समिति से न्याय कैसे मिलेगा। इस बीच भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह मान, जो कि समिति के सदस्य थे, ने पिछले हफ्ते इस समिति से खुद को बाहर कर लिया।

आज चीफ जस्टिस ने कहा कि भूपेंद्र सिंह मान ने कानून में बदलाव की मांग की थी तो ऐसे में वे कानून के पक्ष में कैसे हो गए? कोर्ट ने कहा कि समिति के सभी सदस्य कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं। आप लोगों पर इस तरह पक्षपात करने का आरोप नहीं लगा सकते हैं। लोगों के अपने विचार होते हैं। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के जज के भी अपनी सोच या विचारधारा होती है।

कोर्ट ने कहा कि हमने इस मामले में दखल किसानों और आम जनता के हित को देखते हुए दी थी। अगर कोई समिति के आगे पेश नहीं होना चाहता है तो ना हो लेकिन समिति सदस्यों पर इस तरह आरोप ना लगाएं।