सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कृषि कानूनों के खिलाफ अनशन करने की अपनी योजना बदल दी है। अन्ना हजारे ने ये जानकारी बीजेपी नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में दी। अन्ना हजारे ने संवाददाताओं को बताया, “मैं लंबे समय से कई मुद्दों को लेकर आंदोलन करता रहा हूं। शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना अपराध नहीं है…। मैं पिछले तीन सालों से किसानों का मुद्दा उठाता आया हूं…किसानों को उनकी फसल का सही दाम नहीं मिलता है इसलिए वे आत्महत्या करने को मजबूर हैं…सरकार ने किसानों के लिए एमएसपी बढ़ाने का फैसला किया है, मुझे जानकारी मिली है।”
उन्होंने आगे बताया,”चूंकि सरकार ने इन 15 बिंदुओं पर काम करने का आश्वासन दिया है (किसानों के लिए अन्ना की जो मांगे थीं), मैंने अनशन रद्द कर दिया है।” इससे पहले इस महीने, 83 वर्षीय हजारे ने पीएम मोदी को लिखा था कि वे इस महीने के आखिर में अपने जीवन का अंतिम अनशन शुरू करेंगे।
उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि दिल्ली में कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के आंदोलन में लोकतांत्रिक मूल्यों का अभाव है। अन्ना हजारे ने दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन करने की इजाजत केंद्र सरकार से मांगी थी। लेकिन मामले में कोई जवाब नहीं मिला था।
किसानों के मुद्दे पर 30 जनवरी से अनशन करने जा रहे अन्ना हजारे के मुताबिक केंद्र सरकार से आश्वासन मिलने के बाद उन्होंने अपना अनशन स्थगित किया है !!@news24tvchannel #farmersrprotest pic.twitter.com/GoUs0IJEFE
— Sanket Pathak (@Sanket_News24) January 29, 2021
बता दें कि सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने घोषणा की थी कि वह केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ शनिवार को महाराष्ट्र में अपने गांव रालेगांव सिद्धि में अनिश्चितकालीन अनशन शुरू करेंगे। उन्होंने बृहस्पतिवार को जारी एक बयान में कहा, “मैं कृषि क्षेत्र में सुधारों की मांग करता रहा हूं, लेकिन केंद्र सही फैसले लेते नहीं दिख रहा है।’’
हजारे ने कहा था, ‘‘किसानों को लेकर केंद्र कतई संवेदनशील नहीं है, इसीलिए मैं 30 जनवरी से अपने गांव में अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर रहा हूं।’’ हजारे (83) ने अपने समर्थकों से अपील भी की थी कि वे कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए अहमदनगर जिले में स्थित उनके गांव में एकत्र नहीं हों।’’
मालूम हो कि अन्ना हजारे ने साल 2011 और 2012 में भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐतिहासिक अनशन किया था।