आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले के इंटरमीडिएट के दूसरे वर्ष के छात्र राजापु सिद्दू ने ई-साइकिल बनाई है। राजापु सिद्दू को पढ़ाई के लिए लंबी दूरी की यात्रा करनी पड़ती थी। ये उनके लिए बड़ी मुश्किल थी। हार मानने के बजाय उन्होंने आगे बढ़ने का रास्ता चुना। अटल टिंकरिंग प्रयोगशाला (ATL) में अपने स्कूल के दिनों से रोबोटिक्स और टेक्नोलॉजी के अपने ज्ञान का उपयोग करते हुए जादवारी कोट्टावलसा गांव से ताल्लुक रखने वाले सिद्दू ने ई-साइकिल बनाई। उन्हें लगभग 17 किलोमीटर दूर कॉलेज की यात्रा पड़ती है। इसी के लिए उन्होंने बैटरी से चलने वाली इलेक्ट्रिक साइकिल बनाई।
17 किमी का करना पड़ता है सफर
राजापु सिद्दू ने अपनी गर्मी की छुट्टियां इलेक्ट्रिक साइकिल बनाने में बिताईं। पहले सिद्दू मेन सड़क तक 3 किमी पैदल चलते थे और फिर 14 किमी के लिए बस या ऑटो पर निर्भर रहते थे, जिससे उन्हें प्रतिदिन लगभग 60 रुपये खर्च करने पड़ते थे। इसके अलावा उनका कीमती समय बर्बाद होता था। चेन्नई में काम करने वाले उनके माता-पिता के साथ, सिद्दू और उनकी बहन अपने पैतृक गांव में अपनी दादी के साथ रहते हैं।
सिद्दू ने कहा, “मैं समय पर पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहा था। तभी मैंने ई-साइकिल बनाने का फैसला किया। दिल्ली और राजस्थान से पार्ट्स खरीदने के लिए अपनी बचत के 35,000 रुपये खर्च किए। अपने एटीएल गुरु वाई ईश्वर राव के मार्गदर्शन और अपने दोस्त जग्गूपल्ली राजेश की मदद से हब मोटर, एक्सीलेटर और तीन गियर वाली पूरी तरह कार्यात्मक ई-साइकिल बनाई। साइकिल 120 किलोग्राम तक का भार उठा सकती है। 25 से 50 किमी प्रति घंटे की गति तक पहुंच सकती है और एक बार फुल चार्ज होने पर 80 किमी तक चल सकती है, जिसमें सिर्फ़ 3.5 घंटे लगते हैं।”
डिज़ाइन को किया जाएगा और बेहतर
सिद्दू ने गर्व से कहा, “अब मेरी यात्रा लागत घटकर सिर्फ़ 6 रुपये प्रतिदिन रह गई है और मैं समय पर कॉलेज पहुंच जाता हूं।” साइकिल पर पीछे बैठने वाली सीट भी है और सिद्दू को उम्मीद है कि वह इसे बेहतर डिज़ाइन और सुविधाओं के साथ और अच्छा बनाएगा। उनके शिक्षक ईश्वर राव ने कहा कि उसे इसे आगे बढ़ाने के लिए डिज़ाइन लैब या तकनीकी सलाहकारों से मदद की ज़रूरत है।
