आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू को भ्रष्टाचार के मामले में शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया। वर्तमान में मुख्यमंत्री और वाईएसआरसीपी प्रमुख जगनमोहन रेड्डी को भी ऐसे ही एक मामले में 11 साल पहले गिरफ्तार किया गया था।

वर्तमान सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी और एन चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी का एक लिंक भी समान हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता दोनों को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। शनिवार की सुबह करोड़ों रुपये के एपी कौशल विकास निगम घोटाले में चंद्रबाबू नायडू को जेल भेजा गया जबकि जगन मोहन रेड्डी को सीबीआई ने 27 मई 2012 को कथित तौर पर गबन के माध्यम से संपत्ति अर्जित करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।

चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी को उनकी पार्टी जगन की प्रतिशोध की राजनीति के रूप में देख रही है। यह गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब उनकी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) सीएम जगन की युवजन श्रमिका रायथू कांग्रेस पार्टी (YSRCP) के लोकप्रिय प्रशासन के खिलाफ संघर्ष कर रही है और भाजपा और पवन कल्याण की जन सेना पार्टी से गठबंधन बनाने की कोशिश कर रही है। वाईएसआरसीपी ने 2019 विधानसभा चुनावों में 49.95% वोट शेयर के साथ 175 सीटों में से 151 सीटें जीतकर जीत हासिल की जबकि टीडीपी 23 सीटों पर सिमट गई थी।

जब जगन मोहन रेड्डी ने पिछले अगस्त में चंद्रबाबू नायडू के गढ़ कुप्पम का दौरा किया था तब उन्होंने वाईएसआरसीपी नेताओं से कहा कि 2024 की चुनावी लड़ाई नायडू को उनके क्षेत्र में हराने की योजना के साथ शुरू होगी। जगन का आत्मविश्वास इस तथ्य से भी निकला कि 2019 में पहली बार कुप्पम में चंद्रबाबू नायडू का वोट शेयर 60% से गिरकर 55.18% हो गया क्योंकि जन सेना और भाजपा ने वोट काटे।

जून 2019 में जगन सरकार ने अमरावती के उंदावल्ली में नदी किनारे एक घर को ध्वस्त करने की कोशिश की, जिसे चंद्रबाबू नायडू ने किराए पर लिया था। एपी कैपिटल रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (APCRDA) ने बंगले के मालिक रमेश लिंगमनेनी को नोटिस जारी कर उनसे पूछा कि घर के अवैध रूप से निर्मित हिस्सों को क्यों नहीं ध्वस्त किया जाना चाहिए? तब से चंद्रबाबू नायडू ज्यादातर समय हैदराबाद स्थित अपने घर पर ही रह रहे हैं। जगन सरकार ने अमरावती में एक आधुनिक राजधानी शहर बनाने के चंद्रबाबू नायडू के सपने को भी विफल कर दिया है। इसके बजाय सीएम ने विकेंद्रीकृत विकास का प्रस्ताव दिया है, जिसमें अमरावती को विधायी राजधानी, विशाखापत्तनम को कार्यकारी राजधानी और कुरनूल को न्यायिक राजधानी बनाया गया है।

चंद्रबाबू नायडू का राजनीतिक करियर

चंद्रबाबू नायडू ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस से की और 1978 में पहली बार चंद्रगिरि निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा के लिए चुने गए। वह टी अंजैया सरकार में सिनेमैटोग्राफी मंत्री बने और इसी समय उनकी मुलाकात एनटीआर के नाम से मशहूर अभिनेता एन टी रामा राव से हुई। 1980 में नायडू ने एनटीआर की बेटी भुवनेश्वरी से शादी की और मार्च 1982 में एनटीआर ने टीडीपी की स्थापना की और विधानसभा चुनावों में सत्ता में आए। हालांकि नायडू चंद्रगिरि से टीडीपी उम्मीदवार से हार गए।

इसके बाद वह अपने ससुर की पार्टी में शामिल हो गए, लेकिन 1985 में चुनाव नहीं लड़ा और संगठन के लिए काम करना पसंद किया। 1989 में उन्होंने पहली बार कुप्पम से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। तब से वह लगातार जीतते रहे। अगस्त 1995 के अंत में एनटीआर के खिलाफ अत्यधिक असंतोष पनपने लगा क्योंकि टीडीपी विधायकों को लगा कि पार्टी और सरकार उनकी पत्नी लक्ष्मी पार्वती चला रही हैं। नायडू के नेतृत्व में विधायकों के एक समूह ने विद्रोह कर दिया और एनटीआर को हटा दिया।

चंद्रबाबू नायडू को प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण को बढ़ावा देने वाले सीएम के रूप में जाना जाता है। नायडू को मुख्यमंत्री के रूप में 1999 में दूसरा कार्यकाल मिला, जब टीडीपी ने चुनावों में जीत हासिल की। टीडीपी को 294 विधानसभा सीटों में से 185 और 42 लोकसभा क्षेत्रों में से 29 सीटों पर जीत मिली। टीडीपी भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई, जिसने केंद्र में सरकार बनाई।

लेकिन सत्ता पर उनकी पकड़ के लिए ख़तरे ख़त्म नहीं हुए थे। 1 अक्टूबर 2003 को नायडू तिरुपति में अलीपिरी टोलगेट के पास पीपुल्स वॉर ग्रुप द्वारा किए गए एक बारूदी सुरंग विस्फोट में चमत्कारिक रूप से बच गए। माओवादियों द्वारा निशाना बनाए जाने वाले वह पहले मुख्यमंत्री थे। जब हमला हुआ तब वह तिरुमाला मंदिर जा रहे थे। अगले वर्ष, टीडीपी सरकार सत्ता विरोधी लहर से उबरने में विफल रही क्योंकि जगन के पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी, जो वाईएसआर के नाम से लोकप्रिय थे, उनके कारण कांग्रेस सत्ता में आ गई।

टीडीपी पांच साल बाद भी सत्ता वापस लेने में विफल रही क्योंकि वाईएसआर की सामाजिक कल्याण योजनाएं सफल साबित हुईं। लेकिन सितंबर 2009 में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में वाईएसआर की मृत्यु के बाद, टीडीपी को वापसी का मौका मिला। इस बीच कांग्रेस में अलग-थलग पड़े जगन मोहन रेड्डी ने 2009 में वाईएसआरसीपी का गठन किया। तेलंगाना आंदोलन और 2014 में आंध्र प्रदेश के विभाजन ने राज्य में कांग्रेस को खत्म कर दिया, लेकिन जगन और वाईएसआरसीपी नायडू के लिए सबसे बड़े चुनौती बनकर उभरे। टीडीपी बमुश्किल वोट शेयर में एक प्रतिशत से भी कम अंतर के साथ चुनाव जीतने में कामयाब रही और नायडू को सत्ता में यह तीसरा कार्यकाल मिला।

टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने तब अपने सपनों की राजधानी बनाने की खोज शुरू की, लेकिन धन की कमी के कारण यह रुक गया और यह स्पष्ट हो गया कि जगन, जो राज्यव्यापी पदयात्रा पर निकले थे, वह 2019 का चुनाव जीतेंगे। 2019 के चुनावों में टीडीपी की सीटें घटकर सिर्फ 23 सीटें रह गईं। पिछले साल नायडू ने अपने बेटे लोकेश नायडू को पार्टी महासचिव बनाया था। हालाँकि लोकेश को आधिकारिक तौर पर उनके उत्तराधिकारी के रूप में नामित नहीं किया गया था, लेकिन पूर्व सीएम ने उन्हें पार्टी नेतृत्व में सबसे आगे रखा और इस कदम का कई वरिष्ठ नेताओं ने समर्थन किया। इसके बाद लोकेश ने मतदाताओं से जुड़ने के लिए युवा गलाम (युवाओं की आवाज) पदयात्रा शुरू की, लेकिन उनके पिता की गिरफ्तारी से काम में बाधा आई है।

पिछले नवंबर में कुरनूल में एक बैठक में चंद्रबाबू नायडू की सार्वजनिक अपील में सत्ता में लौटने की हताशा स्पष्ट थी, जहां उन्होंने कहा कि अगर टीडीपी सत्ता में नहीं लौटी तो 2024 का चुनाव उनका आखिरी चुनाव होगा। नायडू ने अब गिरफ्तारी के बाद कहा कि उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने अतीत में भी उन्हें कई मामलों में फंसाने की कोशिश की थी लेकिन वह हमेशा बेदाग निकले हैं।