Gurpreet Singh Murder Case: पंजाब पुलिस ने शुक्रवार को कहा कि उसने सिख कार्यकर्ता गुरप्रीत सिंह की हत्या का मामला सुलझा लिया है। जिसमें गैंगस्टर से आतंकवादी बने अर्शदीप सिंह का नाम मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आया है। पुलिस ने कहा कि इस मामले में जेल में बंद कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल सिंह के भी तार जुड़े होने के सबूत मिले हैं।

पंजाब के पुलिस महानिदेशक गौरव यादव ने बताया कि पुलिस ने गुरप्रीत सिंह की हत्या का मामला सुलझाते हुए अर्शदीप सिंह उर्फ ​​अर्श डल्ला गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने कहा कि अर्शदीप इस हत्याकांड का मुख्य आरोपी पाया गया है। उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान बिलाल अहमद उर्फ ​​फौजी, गुरमरदीप सिंह उर्फ ​​पोंटू और अर्शदीप सिंह उर्फ ​​झंडू के रूप में हुई है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 32 साल के गुरप्रीत सिंह को वारिस पंजाब दे संगठन का साल 2021 में खजांची बनाया गया। दीप सिद्धू की मौत के बाद वह अमृतपाल के करीब रहा, लेकिन बाद में अलग हो गया। गुरप्रीत सिंह की नौ अक्टूबर को उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वह अपने गांव के गुरुद्वारे से मोटरसाइकिल पर सवार होकर घर लौट रहे थे।

गुरप्रीत सिंह पिछले कुछ वक्त से अमृतपाल सिंह और सिख नेताओं के खिलाफ बयानबाजी कर रहा था। उसे इसकी वजह से लगातार धमकियां भी मिल रही थीं। पुलिस ने गुरप्रीत सिंह हत्याकांड की जांच के लिए चार सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था। जिसमें तीन डीएसपी और एक एसपी शामिल हैं।

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डीजीपी ने कहा कि जांच से पता चला है कि गुरप्रीत सिंह की हत्या की साजिश विदेश में बैठे अर्श डल्ला और अन्य लोगों ने रची थी। उन्होंने कहा कि हत्या की साजिश रचने और उसे अंजाम देने के लिए अलग-अलग मॉड्यूल का इस्तेमाल किया गया, जिनके आका विदेश में बैठे थे।

डीजीपी ने कहा कि जांच के दौरान, हत्या की साजिश में ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के अमृतपाल सिंह की भूमिका के संकेत देने वाले साक्ष्य सामने आए हैं। जांच में दर्ज कुछ बयानों के अनुसार, हत्या अमृतपाल सिंह के इशारे पर की गई थी।

‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का प्रमुख अमृतपाल सिंह अपने नौ साथियों के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है। अमृतपाल ने पंजाब की खडूर साहिब लोकसभा सीट से 1,97,120 मतों से जीत दर्ज की थी। यह पंजाब में सबसे बड़ी जीत है। उसने कांग्रेस प्रत्याशी कुलबीर सिंह जीरा को हराया था। अमृतपाल ने 5 जुलाई को लोकसभा सांसद के रूप में शपथ ली थी। इसके लिए उसे विशेष विमान से दिल्ली लाया गया था। शपथ ग्रहण करने के लिए अमृतपाल को कुछ दिन की पैरोल दी गई थी।

(भाषा)