खालिस्तान समर्थक और वारिस पंजाब दे का मुखिया अमृतपाल सिंह 36 दिनों बाद पंजाब पुलिस की गिरफ्त में है। रविवार सुबह को मोंगा से उसे गिरफ्तार किया गया। इंटेलिजेंस टीम के साथ मिलकर पंजाब पुलिस ने इस बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। लेकिन अमृतपाल का ये पूरा प्रकरण काफी नाटकीय रहा, फिल्मी रहा और इसमें समय-समय पर ट्विस्ट एंड टर्न्स आते रहे। पुलिस को चकमा देने के लिए अमृतपाल ने लुक बदला, गाड़ियां बदलीं और उसे अलग-अलग समय कई लोगों की मदद मिलती रही।
एक अमृतपाल और उसके बदलते रूप
पुलिस को चकमा देने की कहानी 18 मार्च को शुरू हुई जब अमृतपाल को गिरफ्तार करने की पूरी तैयारी कर ली गई थी। पहले से ऐसे इनपुट मिले थे कि अमृतपाल अपने साथियों के साथ आने वाला है। पुलिस ने सभी जगह नाकाबंदी कर दी थी, हर कीमत पर उसे पकड़ने की तैयारी थी। अब इंटेलिजेंस का इनपुट सही निकला और अमृतपाल अपनी मर्सिडीज गाड़ी में बैठकर निकल पड़ा। कुछ और गाड़ियां भी उसके काफिले का हिस्सा थीं जो साथ में चलती रहीं। जैसे ही भारी पुलिस फोर्स के बीच अमृतपाल का काफिला पहुंचा, उसे रोकने का आदेश दिया गया। लेकिन अमृतपाल ने गाड़ी की स्पीड बढ़ाई और पुलिस नाका तोड़कर आगे निकल गया। फिर मौके की नजाकत को समझते हुए उसने बीच रास्ते में अपनी गाड़ी बदली और मर्सिडीज छोड़ ISUZU में बैठ गया। इसके बाद जब उसका काफिला सलेमा गांव में पहुंचा, तब उसने फिर अपनी गाड़ी बदली और एक ब्रेजा में सवार हो गया।
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उसका पुलिस से यूं भागने का ये खेल शाहकोट तक चलता जहां फिर उसने गाड़ी छोड़ बाइक की सवारी की। एक तरफ अमृतपाल खुद प्लेटिना बाइक पर सवार हो गया, उसका दूसरा साथी बुलेट पर बैठ निकल गया। उनके बाइक पर बैठ भागने का सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया था। लेकिन तब वो सुराग पुलिस के किसी काम का नहीं रहा क्योंकि अमृतपाल चकमा देकर भागने में कामयाब हो गया। अब वो भागा जरूर, लेकिन उसके अलग-अलग लुक समय-समय पर वायरल होते रहे। कभी किसी ने उसे साधु के भेष में कहीं देखा तो कभी शर्ट-ट्राउजर में भी वो दिखाई पड़ गया।
अमृतपाल की स्पेशल 9 क्या है?
सबसे पहला लुक अमृतपाल का 18 मार्च को ही बदल गया था। जिस समय वो बाइक पर बैठ पुलिस से भाग रहा था, उसने चकमा देने के लिए गुलाबी पगड़ी और काला चश्मा लगा लिया था। फिर 20 मार्च को उसका एक और सीसीटीवी फुटेज सामने आया जिसमें वो जैकेट, ट्राउजर और चश्मे में दिखाई दिया, तब वो अपने किसी रिश्तेदार के घर छिपा बैठा था। एक और दावा ये हुआ था कि अमृपाल बीच में दिल्ली पहुंच गया और वहां उसे साधु के भेष में देखा गया। पुलिस ने उस इनपुट को आधार बनाकर तब काफी जांच की, सीसीटीवी खंगाले, लेकिन कोई स्पष्टता नहीं मिली। वैसे पुलिस तब स्पष्ट नहीं थी, लेकिन अमृतपाल अपनी रणनीति को लेकर पूरी तरह क्लियर था। उसे पता था कि कब किससे मदद लेनी है, कहां जाना है। इसी वजह से वो 36 दिनों तक चकमा देता रहा।
अब इन मदद करने वाले लोगों को अमृतपाल की स्पेशल 9 टीम कह सकते हैं। इस टीम में वो 9 लोग शामिल हैं, जिन्होंने या तो अमृतपाल को फंडिंग देने का काम किया, या फिर उसे अपने ठिकाने पर रहने की इजाजत दी। सभी की सक्रिय भूमिका रही और उसी वजह से इतने दिनों तक ये भागने का खेल चलता रहा। वारिस पंजाब दे के मुखिया की स्पेशल 9 में किरणदीप कौर, तूफान सिंह, पप्पलप्रीत सिंह, दलजीत सिंह कलसी, गुरमीत सिंह ,भगवंत सिंह, हरजीत सिंह, तेजिंदर सिंह, बलजीत कौर शामिल हैं।
किरणदीप कौर
किरणदीप, अमृतपाल सिंह की पत्नी है और इसी साल 20 फरवरी को दोनों की शादी हुई। पुलिस ने कुछ दिन पहले ही किरणदीप को हिरासत में लिया था। ऐसा दावा किया गया है कि अमृतपाल की आर्मी एकेएफ को जो फंडिंग मिल रही थी, उसका इंतजाम किरणदीप ही कर रही थी।
बलजीत कौर
अमृतपाल पुलिस को चकमा इसलिए दे पाया क्योंकि उसे 32 वर्षीय बलजीत कौर का पूरा समर्थन मिला। 18 मार्च को पुलिस को चकमा देकर अमृतपाल सबसे पहले हरियाणा के कुरुक्षेत्र पहुंचा था। यहां पर उसे बलजीत कौर ने अपने घर पर रुकवाया था, ये भी कह सकते हैं कि कुछ दिनों के लिए उसका सीक्रेट अड्डा बन गया था। जांच में पता चला है कि बलजीत के फोन से ही अमृतपाल ने कुछ लोगों को कॉल भी किया था, यानी कि आगे की रणनीति पर चर्चा।
हरजीत सिंह
अमृतपाल का चाचा हरजीत इस पूरी साजिश में शुरुआत से साथ रहा। जब 18 मार्च को पुलिस को चकमा देकर अमृतपाल भाग रहा था, तब एक गाड़ी हरीजत भी चला रहा था। इससे पहले ये दोनों साथ में दुबई में भी काम कर रहे थे।
पप्पलप्रीत सिंह
अमृतपाल ने जितनी भी साजिश रची, उसकी एक अहम कड़ी ये पप्पलप्रीत रहा। खालिस्तान मुहिम को आगे बढ़ाने की जो भी ताकत उसे मिली, उसकी नींव पप्पलप्रीत ने ही रखी थी। पाकिस्तान में बैठे ISI के साथ भी उसके संबंध पाए गए थे, पंजाब में कई खतरनाक गतिविधियों में भी वो शामिल रहा।
लवप्रीत तूफान
अमृतपाल का सबसे ज्यादा करीबी माना जाने वाला तूफान एक तरह से इस मामले की जड़ है। इस साल जब 24 फरवरी को अजनाला थाने पर अमृतपाल के समर्थकों ने हमला बोला था, तब पुलिस तूफान से ही पूछताछ कर रही थी। ऐसे में उसे रिहा करवाने के लिए ही सारा बवाल शुरू किया गया।