मणिपुर हिंसा को लेकर गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में ऑल पार्टी मीटिंग खत्म हो गई है। अहम विपक्षी दल कांग्रेस ने पीएम मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए मीटिंग से किनारा कर लिया था। सिर्फ पार्टी की तरफ से पूर्व सीएम ओकराम इबोबी को भेज दिया गया। वहीं एनसीपी चीफ शरद पवार, टीएमसी चीफ ममता बनर्जी भी बैठक में नहीं पहुंचे। हालांकि दोनों के प्रातिनिधि बैठक में शामिल हुए।
बैठक के बाद आरजेडी नेता मनोज झा ने कहा कि सभी मुद्दों पर गहन चर्चा हुई है, गृह मंत्री ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही स्थिति पर काबू पाया जाएगा।
कांग्रेस का पीएम पर निशाना
कांग्रेस ने मणिपुर पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक को यह कहते हुए पहले खारिज कर दिया था कि प्रधानमंत्री की गैरमौजूदगी में इस बैठक का कोई मतलब नहीं रह जाता है।
कांग्रेस ने मणिपुर पर 50 दिनों से ज़्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल किया। गुरुवार को कांग्रेस राहुल गांधी ने ट्वीट किया कर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “मणिपुर 50 दिनों से जल रहा है लेकिन प्रधानमंत्री चुप रहे। सर्वदलीय बैठक तब बुलाई गई है जब प्रधानमंत्री देश में नहीं हैं. यह स्पष्ट है, यह बैठक प्रधानमंत्री के लिए महत्वपूर्ण नहीं है।”
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असदुद्दीन ओवैसी ने कसा तंज
ऑल पार्टी मीटिंग को लेकर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने तंज कसते हुए कहा, ‘देश के पीएम कहते हैं कि मुल्क में भेदभाव नहीं होता है. मणिपुर में 300 चर्च को जला दिया गया. वहां के DGP को हटा दिया गया और आप कहते हैं कि भेदभाव नहीं है. मणिपुर भेदभाव की बेहतरीन मिसाल बन चुका है. अगर यह भेदभाव नहीं है तो क्या है.’।
पिछले महीने गृहमंत्री अमित शाह ने चार दिनों के लिए मणिपुर का दौरा किया था और शांति बहाल करने के प्रयासों के तहत अलग-अलग लोगों से मुलाकात की थी। उन्होंने राहत शिविरों में मैतेई और कुकी दोनों समुदायों के पीड़ितों से मुलाकात की थी और उन्हें पर्याप्त सुरक्षा का आश्वासन दिया था। गृह मंत्री ने इस दौरान कहा था कि वह सभी बेघर हुए लोगों को फिरसे बसाने का प्लान तय करेंगे।