दादरी घटना और गोमांस विवाद पर अपने नेताओं के विवादास्पद बयानों के कारण आलोचनाओं के घेरे में आई भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ऐसे नेताओं को रविवार को तलब कर विवादास्पद बयान देने के खिलाफ चेतावनी दी। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे बयानों पर गहरी अप्रसन्नता व्यक्त कर चुके हैं।

पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि शाह ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय मंत्री संजीव बलियान, सांसद साक्षी महाराज और विधायक संगीत सोम को कार्यालय में तलब किया और उन्हें फटकार लगाई और ऐसे बयानों के प्रति चेतावनी दी जिससे मोदी सरकार के विकास के सकारात्मक एजंडे के पटरी से उतरने का खतरा है। भाजपा पदाधिकारी ने कहा कि संस्कृति व पर्यटन मंत्री महेश शर्मा से टेलीफोन पर इस विषय पर नाशुखी व्यक्त की गई।

पदाधिकारी ने कहा, ‘खट्टर, बलियान, साक्षी महाराज, सोम को अमित शाह ने अपने कार्यालय में तलब किया और उनके विवादास्पद बयानों के लिए उन्हें फटकार लगाई क्योंकि इसके कारण मोदी सरकार का रोजगार सृजित करने, गरीबी उन्मूलन और विकास का सकारात्मक एजंडा कुछ हद तक पटरी से उतर गया है।’ उनका कहना था कि पार्टी अध्यक्ष ने उन्हें बताया कि गोमांस खाने और रखने की अफवाह को लेकर दादरी में एक व्यक्ति की पीट-पीट कर हत्या राज्य सरकार की कानून व व्यवस्था बनाए रखने की विफलता है और भाजपा का इससे कुछ भी लेना देना नहीं है।

भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस मुद्दे पर तब सक्रिय हुआ जब प्रधानमंत्री मोदी ने इन नेताओं के बयानों से उत्पन्न विवाद को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की। इन नेताओं पर अंकुश लगाने के लिए पर्याप्त कदम न उठाने को लेकर मोदी की आलोचना हुई है। खबरों के अनुसार खट्टर ने हाल ही में कहा था कि मुसलिम भारत में रह सकते हैं लेकिन उन्हें गोमांस का सेवन छोड़ना होगा। हालांकि इस पर तीव्र प्रतिक्रिया के बाद उन्हें यह बयान वापस लेना पड़ा था।

जबकि दादरी में गोमांस के सेवन संबंधी अफवाह के चलते एक व्यक्ति की पीट-पीट कर हत्या के बाद शर्मा और सोम दादरी के उस गांव गए थे। शर्मा ने हत्या को एक दुर्घटना बताया था तो सोम ने आरोप लगाया था कि पुलिस निर्दोष लोगों को फंसा रही है। उन्होंने मुजफ्फरनगर जैसी प्रतिक्रिया की चेतावनी भी दी थी। हिंदुत्ववादी नेता साक्षी महाराज भी अपने दक्षिणपंथी बयानों को लेकर विवादों में रहे हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या शाह ने गोमांस के मुद्दे पर उन्हें कोई चेतावनी दी, केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं हुआ। जबकि सांसद साक्षी महाराज ने कहा कि उनसे कोई स्पष्टीकरण नहीं मांगा गया। शर्मा ने कहा कि मेरे पास ऐसी कोई सूचना नहीं है। साक्षी महाराज ने दावा किया कि उनकी शाह से मुलाकात उत्तरप्रदेश में अपने क्षेत्र उन्नाव क्षेत्र से जुड़े मुद्दों को लेकर हुई। मुझसे कोई स्पष्टीकरण नहीं मांगा गया और न मैंने कोई दिया। महाराज ने कहा कि उन्होंने उस घटना को कभी उचित नहीं ठहराया और हत्या, हत्या होती है। जबकि संगीत सोम ने कहा कि हम पार्टी के कार्यकर्ता हैं और अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलने आए थे और पार्टी से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की।

कांग्रेस ने अमित शाह की इस कवायद को महज औपचारिकता, दिखावा और हथकंडा बताते हुए खारिज कर दिया। पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत। 18 महीने तक विभाजनकारी और उकसाऊ बयान और कार्य नियमित रूप से किए जा रहे थे। अब 18 महीने के बाद अमित शाह को सांसदों और मंत्रियों को दंडित करने का समय मिला।

उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट रूप से खोखली औपचारिकता है। मोदी को अभी भी समय नहीं मिला है और उनका चुप्पी साधे रखना जारी है। यह मुद्दों के समाधान के बजाए महज हथकंडा है जो दोष स्वीकार करने जैसा है। बिहार में जारी विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कांग्रेस के एक अन्य प्रवक्ता संदीप दीक्षित ने कहा कि भाजपा राज्य में चुनाव में हार का अहसास होने से घबरा गई है। इन लोगों की वहां कोई प्रासंगिकता नहीं है। जो भी रिपोर्ट बिहार से आ रही है, उसमें महागठबंधन को स्पष्ट और अच्छा बहुमत मिल रहा है। भाजपा घबरा गई है और इसलिए बहाना तलाश रही है।