अमित शाह भाजपा अध्यक्ष के रूप में अपनी दूसरी और पहली पूर्ण पारी 24 जनवरी से शुरु करेंगे। वर्तमान में वे राजनाथ सिंह के गृहमंत्री बनने के बाद अध्यक्ष पद पर बैठे थे। भाजपा सूत्रों का कहना है कि शाह की नियुक्ति से मोदी के विकास और हिंदुत्व की राजनीति का नमूना है। शाह की दूसरी पारी ऐसे समय में शुरु होगी जब भाजपा और वे खुद बिहार चुनावों में मिली शिकस्त से उबर रहे हैं।
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मोदी के करीबी शाह चाहते हैं कि पार्टी केन्द्र सरकार की योजनाओं जैसे नमामि गंगे, स्वच्छ भारत और बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ पर और अधिक सक्रिय हो। वहीं चुनावी मोर्चे पर उन्हें अगले दो साल में होने वाले चुनावों के लिए पार्टी को तैयार करना है। असम, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल और पुडुचेरी में इस साल अप्रैल-मई में चुनाव होने हैं जबकि उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में 2017 में वोट डाले जाने हैं।
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भाजपा अध्यक्ष के लिए शाह का नाम लंबे समय से चल रहा था लेकिन यह इतना आसान भी नहीं था। आरएसएस नेताओं, शाह, मोदी और संगठन सचिवों की कई दौर की बैठकों के बाद इस बारे में फैसला हुआ। लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने शाह की काबिलियत पर सवाल उठाए थे। शाह के खिलाफ औसत लोगों को पार्टी में लेने और पार्टी नेताओं की उपेक्षा करने जैसी शिकायतें थी लेकिन जमीनी स्तर पर कैडर से जुड़ने की क्षमता शाह के पक्ष में गई। सूत्रों ने बताया कि, मोदी और आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने फैसला किया कि शाह का अध्यक्ष बने रहना पार्टी के पक्ष में होगा।
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