Amit Shah Ambedkar Remark: संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के द्वारा संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव आंबेडकर को लेकर दिए गए बयान पर काफी राजनीतिक बवाल हुआ। कांग्रेस ने अमित शाह के बयान को डॉ. आंबेडकर का अपमान बताया और न सिर्फ उसके बल्कि बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ता भी देश भर में सड़कों पर उतर आए। इंडिया गठबंधन में शामिल विपक्षी दलों ने इस बयान को लेकर अमित शाह से माफी मांगने को कहा।
निश्चित रूप से विपक्ष के इन तेवरों से बीजेपी के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है। हालांकि भाजपा के नेताओं ने भी कांग्रेस के आरोपों का मुंह तोड़ जवाब दिया। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मैदान में उतरे और उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी भी बाबा साहेब का सम्मान नहीं किया।
आंबेडकर मामले में विपक्ष की रणनीति से निपटने के लिए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा के आवास पर एनडीए में शामिल दलों की एक जरूरी बैठक बुधवार को बुलाई गई।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस बैठक में अमित शाह की टिप्पणी के अलावा जातिगत जनगणना और सामाजिक न्याय की राजनीति को लेकर बीजेपी के खिलाफ विपक्ष के द्वारा किए जा रहे हमलों पर भी चर्चा की गई।
झूठी कहानी गढ़ने का आरोप
बैठक में अमित शाह ने सहयोगी दल टीडीपी के प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू समेत अन्य नेताओं से कहा कि कांग्रेस झूठी कहानी गढ़ रही है। सूत्रों के मुताबिक, टीडीपी ने भी शाह की बात से सहमति जताई।
कुल मिलाकर इस बैठक का संदेश यही था कि एनडीए को एकजुट होकर विपक्ष के द्वारा बनाए जा रहे नैरेटिव का पुरजोर ढंग से मुकाबला करना होगा और इसके लिए एनडीए में शामिल सहयोगी दलों के बीच कोआर्डिनेशन की सख्त जरूरत है। बैठक में बीजेपी के नेताओं ने शाह की टिप्पणी को लेकर कांग्रेस पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया।
बैठक में एनडीए सरकार के सीनियर मंत्रियों सहित भाजपा के नेताओं ने पिछली कांग्रेस सरकारों पर आंबेडकर का अपमान करने का आरोप लगाया।
बीजेपी ने एनडीए के सहयोगी दलों से अपील की कि वे जमीन पर उतरकर कांग्रेस को बेनकाब करें और लोगों को बताएं कि एनडीए सरकार ने आंबेडकर के सम्मान में क्या-क्या किया है। जैसे- पंच तीर्थ (पांच तीर्थस्थल) विकसित करना और कल्याणकारी योजनाओं में दलितों को उनका सही हिस्सा देकर उन्हें मजबूत बनाने के लिए क्या कदम सरकार की ओर से उठाए गए हैं।
अमित शाह ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान हुई घटनाओं को लेकर सहयोगी दलों के नेताओं से विस्तार से बातचीत की। शाह ने कहा कि आंबेडकर के मामले में कांग्रेस झूठी कहानियां गढ़ रही है और उसका मजबूती से और एकजुट होकर मुकाबला करने की जरूरत है।
बीजेपी के दो बड़े सहयोगी- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बैठक में शामिल नहीं हुए। जदयू की ओर से इस बैठक में केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह और शिवसेना की ओर से केंद्रीय राज्य मंत्री प्रताप राव गणपत राव जाधव शामिल रहे। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री और जेडी(एस) नेता एचडी कुमारस्वामी, नागरिक उड्डयन मंत्री और टीडीपी नेता के. राममोहन नायडू, पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, जीतन राम मांझी और यूपी सरकार में मंत्री संजय निषाद भी बैठक में मौजूद थे।
बीजेपी नेता बोले- कांग्रेस रच रही साजिश
बैठक में हुई चर्चाओं को लेकर एक नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जब अमित शाह ने राज्यसभा में आंबेडकर को लेकर बयान दिया था तब कांग्रेस के सांसदों ने इस पर कोई रिएक्शन नहीं दिया था लेकिन बाद में कांग्रेस नेताओं ने एक बैठक की और उन्होंने अमित शाह के बयान को मुद्दा बनाने का फैसला किया। इस बैठक में राहुल गांधी भी मौजूद थे। भाजपा नेता ने कहा कि यह पूरी तरह एक साजिश है।
कांग्रेस करेगी बड़ी रैली
इस बीच, कांग्रेस बेलगावी में पार्टी की कार्यसमिति की बैठक करने जा रही है। माना जा रहा है कि कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में आंबेडकर विवाद और जाति जनगणना के मुद्दों को लेकर कांग्रेस नए सिरे से रणनीति तैयार करेगी और कार्य समिति की बैठक के बाद एक बड़ी रैली भी करेगी। रैली को- जय बापू, जय भीम, जय संविधान रैली का नाम दिया गया है।
बीजेपी और एनडीए को घेरने की कोशिश
कांग्रेस की कोशिश आंबेडकर और संविधान के मुद्दे पर बीजेपी और एनडीए को घेरने की है। लोकसभा चुनाव 2024 के चुनाव प्रचार के दौरान भी कांग्रेस की अगुवाई में इंडिया गठबंधन में शामिल विपक्षी दलों ने ‘संविधान और आरक्षण खतरे में है’ का प्रचार किया था। चुनाव नतीजे आने के बाद यह साफ हुआ था कि उसे इसका फायदा हुआ है जबकि भाजपा को इसका नुकसान झेलना पड़ा।
हालांकि लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाने से निराश बीजेपी ने जबरदस्त कमबैक करते हुए हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव में जीत हासिल कर उसके ऊपर बने राजनीतिक दबाव को काफी हद तक काम कर लिया है।