केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह काफी बेबाकी से अपनी बात रखते हैं। कई बार वे भाषण देते देते एग्रेसिव हो जाते हैं। कई बार ऐसा लगता है कि वे किसी फटकार लगा रहे हैं। अपनी इस शैली को लेकर उन्होंने सोमवार को संसद में मजाकिया अंदाज में कुछ बात कही। इसे लेकर उन्होंने कहा, “मैं किसी को नहीं डांटता हूं, आवाज जरा ऊंची है, मैन्‍युफैक्‍चरिंग डिफेक्ट है, बस कश्‍मीर के सवाल पर गुस्सा आ जाता है।”

उन्होंने सोमवार को लोकसभा में आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक 2022 पेश की। इस दौरान तृणमूल कांग्रेस (TMC) की तरफ से एक टिप्पणी के जवाब में उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में यह बात कही। विधेयक लपेश करते हुए अमित शाह ने कहा, “समय और विज्ञान की दृष्टि से यह बिल आइडेंटिफिकेशन ऑफ प्रिज़नर्स ऐक्ट 1920 की जगह लेगा। सरकार बनने के बाद हमने अन्य राज्यों से इस पर चर्चा की। इसकी तुलना मॉडल प्रिजन मैनुअल से की जानी चाहिए।”

विधेयक दोषियों और आरोपियों की पहचान और जांच के रिकॉर्ड के संरक्षण से जुड़ा। यह पुलिस को दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 53 में संदर्भित फिंगर और पाल्म-प्रिंट इंप्रेशन, फुटप्रिंट इंप्रेशन, फोटोग्राफ, आईरिस और रेटिना स्कैन, फिजिकल, बॉयोलॉजिकल सैंपल और उनके विश्लेषण के अलावा हस्ताक्षर, लिखावट समेत अन्य व्यवहारिक सबूत एकत्र करने की अनुमति देता है।

विधेयक के प्रावधानों के अनुसार दोषी ठहराए गए, गिरफ्तार या हिरासत में लिए गए किसी भी व्यक्ति को पुलिस अधिकारी या जेल अधिकारी को “मिजरमेंट” देनी होगी। बिल मौजूदा ‘आइडेंटफिकेशन ऑफ प्रिजनर्स एक्ट, 1920’ की जगह लेगा।

इस अधिनियम में मजिस्ट्रेट के आदेश पर सीमित मामलों में फिंगर, फुट प्रिंट और फोटो ली जाती थी। संसद के बजट सत्र का दूसरा भाग 14 मार्च को शुरू हुआ और 8 अप्रैल को समाप्त होगा। बजट सत्र की पहली छमाही 31 जनवरी को शुरू हुई और 11 फरवरी को समाप्त हुई थी।