Amit Shah on Manipur Violence: मणिपुर हिंसा को लेकर संसद का मानसून सत्र शुरू होने के बाद से ही बावल जारी है। बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर हिंसा को लेकर सरकार की तरफ से जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने राज्य में पिछले तीन महीने से जारी हिंसा के कारण बताए। लोकसभा में बोलते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि विपक्ष की इस बात से सहमत हूं कि वहां पर हिंसा का तांडव हुआ है, इसका दुख है। इसका कोई समर्थन नहीं कर सकता। ये घटना शर्मनाक और उसपर राजनीति करना उससे भी ज्यादा शर्मनाक है।
उन्होंने कहा कि एक भ्रांति देशभर की जनता के सामने फैलाई गई है कि सरकार मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार नहीं है। पहले दिन से हम चर्चा के लिए तैयार थे, उन्हें विरोध करना था। मेरी चर्चा से संतुष्ट नहीं होते तो आगे मांग करते। अमित शाह ने कहा कि मणिपुर की नस्लीय हिंसा के स्वभाव को जानना पड़ेगा। यह भी जानना पडे़गा कि जब-जब ये होता है तो किस प्रकार से होता है।
उन्होंने कहा कि पिछले साढ़े छह साल से वहां हमारी सरकार है। जब से वहां हमारी सरकार बनी है, तब से बीती 3 मई तक वहां एक भी दिन कर्फ्यू नहीं लगा। उग्रवादी हिंसा भी लगभग-लगभग समाप्त हो गई।
गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा को बताया कि साल 2021 में म्यांमार में सत्ता परिवर्तन हुआ, वहां मिलिट्री का शासन आया। वहां एक कूकी डेमोक्रेटिक फ्रंट है, उसने वहां पर लोकतंत्र के लिए आंदोलन शुरू किया। इसपर वहां के मिलिट्री शासन ने इनपर कड़ाई करना शुरू किया। अमित शाह ने बताया कि वहां का बॉर्डर फ्री बॉर्डर है। वहां फेंसिंग नहीं है। इसलिए वहां कुकी भाइयों ने आना शुरू किया। हजारों की संख्या में कुकी आदिवासी यहां आए।
उन्होंने आगे कहा कि कुकियों के पलायन पर एक प्रकार से मणिपुर के बाकी हिस्सों में चिंता हुई कि वहां की डेमोग्राफी बदल जाएगी। हमने उसको देखा, उसी समय हमने 2022 में गृह मंत्रालय में फेंसिंग का फैसला किया। हमने 10 किमी फेंसिंग पूरी कर दी है, 7 किलोमीटर का काम चालू है, 600 किमी का सर्वे जारी है। आपने 2014 तक कभी फेंसिंग नहीं की। हमने 2021 में ही यह काम शुरू कर दिया, जिससे घुसपैठ को रोका जा सके।
अमित शाह ने कहा कि वहां डेमोग्राफी बहुत महत्वपूर्ण है। वहां घाटी में मैतई रहते हैं, पहाड़ पर कूकी और नागा रहते हैं। हमने जनवरी में शरणार्थियों को परिचय पत्र देने की शुरुआत की। 2023 में दंगा हुआ, 2021 में फेंसिंग चालू की। 2023 की शुरुआत में हमने thumb impression और eye impression लेने की शुरुआत की। फिर भी जिस प्रकार से संख्या बढ़ती गई, एक असुरक्षा की भावना फैलती गई। वहां पर एक फ्री रिजीम है, नेपाल की तरह वहां पासपोर्ट नहीं चाहिए। किसी को रोकना भी असंभव है। वहां फेंसिंग भी नहीं थी, इसलिए असुरक्षा बढ़ गई।
हाईकोर्ट के फैसले ने किया आग में तेल डालने का काम
उन्होंने आगे कहा कि इतने में 29 अप्रैल को एक अफवाह फैल गई कि शरणार्थियों की बसावत को गांव घोषित कर दिया, इससे घाटी में अविश्वास का वातावरण हो गया। उसके बाद में आग में तेल डालने का काम मणिपुर हाईकोर्ट के अप्रैल के एक फैसले ने किया, जिसने सालों से पड़ी हुई एक लंबित याचिका को अचानक चलाया। फैसले में हाईकोर्ट ने कह दिया कि 29 अप्रैल से पहले मैतई जाति को आदिवासी घोषित कर दीजिए। इससे ट्रायबल लोगों में बड़ा अनरेस्ट हुआ। इसके बाद 3 तारीख को एक भिड़ंत हुई, जिस वजह से दंगे अभी तक चल रहे हैं। अमित शाह ने कहा कि कोर्ट के आदेश के विरोध में एक जूलूस निकाला, जिसमें दोनों समुदाय के लोग भिड़ गए और फिर घाटी और पहाड़ दोनों जगहों पर हिंसा शुरू हो गई।