केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि वह दिन अब दूर नहीं जब देश में अंग्रेज़ी बोलने वालों को “शर्मिंदगी महसूस होगी”। एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में बोलते हुए शाह ने कहा कि जो लोग भारतीय भाषाएं नहीं बोलते, वे पूरी तरह भारतीय नहीं रह जाते और भारत को “विदेशी भाषाओं” के माध्यम से नहीं समझा जा सकता।
शाह ने कहा, “हम सबके जीवनकाल में, इस देश में, एक ऐसा समाज बनेगा जिसमें अंग्रेज़ी बोलने वालों को शर्म महसूस होगी – यह समय अब दूर नहीं है। मेरा मानना है कि हमारे देश की भाषाएं हमारी संस्कृति के आभूषण हैं। यदि हम अपनी भाषाओं को नहीं अपनाते, तो हम सही मायनों में भारतीय नहीं कहला सकते। हमारे देश का इतिहास, इसकी संस्कृति, हमारा धर्म – इन सबको अगर समझना है तो वह किसी विदेशी भाषा में संभव नहीं है।”
शाह, आईएएस अधिकारी आशुतोष अग्निहोत्री द्वारा लिखित पुस्तक ‘मैं बूंद स्वयं, खुद सागर हूं’ के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा, “भारत की संपूर्णता को ‘अधूरी विदेशी भाषाओं’ के माध्यम से नहीं समझा जा सकता। केवल भारतीयता ही इसमें हमारी मदद कर सकती है और केवल भारतीय भाषाएं ही इस उद्देश्य को पूरा कर सकती हैं। मैं जानता हूं कि यह लड़ाई कठिन है, लेकिन मेरा दृढ़ विश्वास है कि भारतीय समाज इस लड़ाई को अवश्य जीतेगा।”
उन्होंने आगे कहा, “हम एक बार फिर गर्व के साथ अपनी भाषाओं का उपयोग करके अपना देश चलाएंगे। हम इन्हीं भाषाओं में सोचेंगे, शोध करेंगे, समाधान निकालेंगे और दुनिया का नेतृत्व भी करेंगे।”
हाल के वर्षों में केंद्र की भाजपा-नीत सरकार को तमिलनाडु की डीएमके-नीत सरकार से जुड़े भाषा विवादों का सामना करना पड़ा है। डीएमके ने केंद्र पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया है, जिसका केंद्र सरकार ने यह कहते हुए खंडन किया है कि त्रिभाषा सूत्र में हिंदी को अनिवार्य नहीं बनाया गया है।
हालांकि, शाह ने अपने वक्तव्य में भारतीय भाषाओं की आवश्यकता पर बल दिया, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि भाषाई विविधता वाले देश में संपर्क भाषा के रूप में कौन-सी भारतीय भाषा को अपनाया जाना चाहिए।