बिहार चुनाव में हार की बजह से लगातार एक के बाद एक हमले झेल रही बीजेपी एक बार फिर से विवादों में आ गई। जब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बुजुर्गों को राजनीति छोड़ने की नसीहत दे डाली। उन्होंने कहा कि 60 साल की उम्र पार कर चुके लोगों को राजनीति छोड़कर समाज सेवा करनी चाहिए। उनके इस बयान पर विवाद छिड़ा तो पार्टी मुख्यालय की ओर से बयान जारी कर सफाई दी गई और कहा गया कि शाह के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है।
दरअसल, शनिवार को चित्रकूट पहुंचे शाह ने नेताओं को सलाह दी है कि 60 साल की उम्र पार करते ही उन्हें राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए। जबकि 65 साल के देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हो चुके हैं, जिसके शाह बेहद करीबी माने जाते हैं। हालांकि शाह अभी खुद 51 साल के हैं। ऐसे में आखिरकार शाह ने कहीं पीएम मोदी पर तो निशाना नहीं साधा या फिर आडवाणी पर हमला किया है।
शाह ने जनसंघ के संस्थापकों में रहे नानाजी देशमुख के विचारों को आड़ें हाथों लेते हुए कहा कि 60 पार वाले नेताओं को सियासत छोड़कर समाजसेवा का क्षेत्र अपना लेना चाहिए।
गौरतलब है कि भाजपा में सक्रीय राजनीति कर रहे शीर्ष नेताओं के साथ ही केंद्र सरकार के मंत्रियों में भी 60 पार हो चुके हैं। चित्रकूट में सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट के जानकी कुंड नेत्र चिकित्सालय की दूसरी यूनिट के लोकार्पण अवसर पर यहां आयोजित समारोह में शाह ने कहा कि नानाजी राष्ट्रपति के पद तक पहुंचने का सामर्थ्य रखते थे, लेकिन उन्होंने 60 साल की उम्र पार करते ही यह कहते हुए राजनीति से संन्यास की घोषणा कर दी थी कि वे समाजसेवा को समय देंगे।
हालांकि बाद में शाह ने भी स्पष्टीकरण दिया और इस विवाद को लेकर ट्वीट भी किया कि उन्होंने ऐसी कोई बात कभी नहीं कही।
— Amit Shah (@AmitShah) November 14, 2015