केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह प्रतिवर्ष भाईदूज के अवसर पर और नवरात्रि के दूसरे दिन अपने गांव का दौरा करते हैं। इस दौरान वह प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) की बैठक में भाग भी लेते हैं। अमित शाह खुद सहकारिता नेता हैं और उन्होंने सोमवार को सहकारिता के 100वें अंतर्राष्ट्रीय दिवस के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम के दौरान यह खुलासा किया।
कार्यक्रम के दौरान अमित शाह के कैबिनेट सहयोगी पुरुषोत्तम रूपाला ने सहकारी नेताओं पर कटाक्ष किया और उनसे पूछा कि वे इस क्षेत्र में कैसे योगदान देते हैं। केंद्रीय मंत्री रूपाला के बोलने के बाद अमित शाह ने जवाब देते हुए कहा, “रूपाला साहब, मैं कितना भी व्यस्त क्यों न हो, आज भी मैं अपने PACS की एजीएम में शामिल होता हूं।” गृह मंत्री ने उल्लेख किया कि वह विशेष रूप से भाईदूज के दिन और नवरात्रि के दूसरे दिन पैक्स (PACS) कार्यालय का दौरा करते हैं और सोचते हैं कि पैक्स को कैसे आगे बढ़ाया जाए।
कार्यक्रम के दौरान अमित शाह ने कहा कि पूंजीवाद और साम्यवाद दोनों ही आर्थिक विकास के एक्सट्रीम मॉडल हैं और असंतुलित विकास का कारण बने हैं। उन्होंने कहा कि केवल सहकारी समितियों पर जोर देकर समावेशी विकास सुनिश्चित किया जा सकता है।
अमित शाह ने सहकारिता पर जोर देते हुए कहा, “अगर हम असंतुलित विकास को समावेशी विकास में बदलना चाहते हैं तो हमें इस संकल्प के साथ आगे बढ़ना होगा कि एक आत्मनिर्भर भारत और एक बेहतर दुनिया सहकारी समितियों के माध्यम से ही बनाई जा सकती है। यह भारत ही है जिसने दुनिया को सहकारिता का विचार दिया।”
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए अमित शाह ने कहा, “भारत एक ऐसा देश है जहां 60 करोड़ से अधिक, लगभग 70 करोड़ लोगों को गरीब माना जाता है। देश के विकास के साथ जोड़कर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए सहकारी समितियों से बेहतर कुछ नहीं हो सकता है। ये 70 करोड़ (गरीब) लोग पिछले 70 सालों में विकास का सपना तक देखने की स्थिति में नहीं थे क्योंकि पिछली सरकार में केवल ‘गरीबी हटाओ’ का नारा हुआ दिया गया। मोदी सरकार ने इन लोगों के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन लाया है।”