Amethi Lok Sabha Chunav: ‘अमेठी का विकास से क्या वास्ता, और यहां प्रत्याशी से क्या लेना देना’
ये शब्द हैं 68 वर्षीय राज मूर्ति सिंह… पेशे से एक एलआईसी एजेंट राज मूर्ति सिंह ने जो कहा, वो मजाक तो बिलकुल भी नही ंहै। इन दिनों पूरे देश की निगाहों का केंद्र बना अमेठी लोकसभा क्षेत्र चुनाव के दिनों अपने वीवीआईपी स्टेटस को बाखूबी समझता है। हालांकि इस बार यहां के वोटर थोड़े मासूस जरूर हैं, वजह है अमेठी में पिछली बार की तरह राहुल गांधी बनाम स्मृति ईरानी का मुकाबला न होना। अमेठी के वोटर इस बात से भी पूरी तरह वाकिफ हैं कि आने वाली 20 मई के बाद लोकसभा क्षेत्र से सभी नजरें हट जाएंगी और वहां पहले की तरह शांति पसर जाएगी।
अमेठी लोकसभा सीट पर इस बार नया मुकाबला देखने को मिल रहा है। यहां हो रही लड़ाई को कुछ लोग ‘चपरासी’ और केंद्रीय मंत्री के बीच की लड़ाई भी बता रहे हैं। अमेठी – रायबरेली में चालीस सालों तक कांग्रेस पार्टी के चुनाव मैनजेर की भूमिका निभाने वाले केएल शर्मा को बीजेपी द्वारा ‘चपरासी’ करार दिया गया है। दूसरी तरफ स्मृति इरानी को उस मंत्री के रूप में देखा जा रहा है, जो सुर्खियों में आने के लिए संघर्ष करती हैं।
यहां कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी केएल शर्मा का गांधी परिवार के लिए समर्पण सियासी रण में न सिर्फ उनकी मजबूती की बड़ी वजह बताया जा रहा है बल्कि यही उनकी कमजोरी भी करार दिया जा है। दूसरी तरफ बीजेपी कार्यकर्ता दबीजुबान में अपनी प्रत्याशी की ‘मनमानी’ के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि इसकी कीमत उन्हें चुकानी पड़ सकती है।
मोदी-योगी के नाम पर वोट मांग रही बीजेपी
बीजेपी को उम्मीद है कि वो क्षेत्र में मोदी-योगी सरकार द्वारा करवाए गए सड़क सहित तमाम विकास कार्यों के बल पर और राहुल गांधी द्वारा हार के बाद क्षेत्र से दूरी बनाने के मुद्दे पर जीत हासिल कर करेगी। बीजेपी इलाके में इस बात का भी जिक्र कर रही है कि राहुल गांधी के यहां से हटने के बाद यहां से प्रियंका गांधी ने भी दूरी बना ली।
हालांकि इस लोकसभा के अधिकांश ग्रामीण हिस्से में न तो विकास पर वोट नजर आता है और न ही गांधी परिवार का। यहां लोग या तो देश के लिए वोट करने की बात कर रहे हैं या फिर मौजूदा सांसद के खिलाफ। अपनी इस रिपोर्ट में जिन एलआईसी एजेंट राज मूर्ति सिंह का जिक्र हमने किया था, वो कहते हैं कि अमेठी वहीं रह जाएगी, जहां है। हम देश के लिए वोट करेंगे।
अमेठी में अपने दोस्तों (सभी की उम्र तकरीबन साठ के आसपास) के साथ अपने ऑफिस में बैठे राज मूर्ति बताते हैं कि वो कभी अपने रिश्तेदारों से अपने शहर के वीवीआईपी स्टेटस के बारे में बात किया करते थे लेकिन अब वही रिश्तेदार उन्हें चिढ़ाते हैं। राज मूर्ति कहते हैं कि चाहे यूपीए की सरकार रही हो या एनडीए की, कुछ भी नहीं बदला।

अमेठी से स्मृति इरानी का तीसरा चुनाव
लोकसभा चुनाव 2024 अमेठी से स्मृति इरानी का तीसरा चुनाव है। वह साल 2014 में यहां से पहला चुनाव करीब एक लाख वोटों से हारी थीं और फिर साल 2019 में उन्होंने करीब 55,000 के मार्जिन से जीत दर्ज की।
यहां कांग्रेस पार्टी के पूर्व एमएससी दीपक सिंह द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहते हैं कि स्मृती इरानी सिर्फ यह दिखाने की कोशिश कर रही हैं कि वह लगातार अमेठी में मौजूद हैं। वो कहते है कि स्मृति कभी-कभार ही आती है। उनकी अपनी पार्टी के नेता उन्हें अमेठी से बाहर करना चाहते हैं। ऐसे भी उदाहरण हैं जब उन्होंने बीजेपी नेताओं को सार्वजनिक रूप से डांटा है या उन्हें मंच से बाहर जाने का आदेश दिया है।
स्मृति के खिलाफ नाराजगी स्वीकार कर रहे बीजेपी कार्यकर्ता?
स्मृति इरानी के खिलाफ ऐसी कुछ नाराजगी स्वीकार करते हुए, एक बीजेपी समर्थक वोटर्स से कैंडिडेट से ऊपर उठकर “मोदी और योगी” को वोट देने की अपील करते हैं। वो लोगों से कहते हैं कि केएल शर्मा नए हैं, हमारा उनसे कोई बैर नहीं है, उन्हें गांधी परिवार द्वारा बलि का बकरा बना दिया गया है। हालांकि वह अच्छी टक्कर दे रहे हैं, लेकिन सभी जानते हैं कि केंद्र में सरकार किसकी बनेगी तो हम अपना वोट क्यों बर्बाद करें?
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी के आसपास भी ऐसे ही सेंटीमेंट नजर आते हैं। इस फ्लाइंग स्कूल की स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री और अमेठी के पूर्व सांसद राजीव गांधी ने साल 1985 में की थी।
यहां दुकान चलाने वाले शिव प्यार कहते हैं कि कांग्रेस को भी ठीक वोट मिल जाएगा। वो कहते हैं कि अगर गांधी परिवार का सदस्य होता तो लड़ाई अलग ही होती क्योंकि लोग स्थानीय सांसद के व्यवहार से खुश नहीं हैं लेकिन वो इससे उठकर बड़े मकसद के लिए वोट करेंगे और अपना वोट खराब नहीं करेंगे। शिव प्यारे कहते हैं कि वोट प्रत्याशी को नहीं कांग्रेस या मोदी को डलेगा।

किन मुद्दों पर वोट मांग रही कांग्रेस?
अपने प्रचार में कांग्रेस पार्टी उन प्रोजेक्ट्स की चर्चा कर रही है, जो यूपीए के शासन में अमेठी में शुरू किए गए लेकिन एनडीए की सरकार में रोक दिए गए। कांग्रेस ‘ट्रिपल आईआईटी (2016 में बंद हो गया और प्रयागराज ट्रांसफर हो गया) और कभी हकीकत न बन पाने वाले मेगा फ़ूड पार्क व एक पेपर मिल का जिक्र कर रही है। इसे “प्रतिशोध की राजनीति” बताते हुए कांग्रेस मतदाताओं को उन परियोजनाओं के बारे में बता रही है जो राजीव गांधी के समय में आईं। जैसे- बीएचईएल, एचएएल, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री और एक सीमेंट प्लांट।
स्मृति मांग रहीं पांच और साल
स्मृति इरानी अपने प्रचार कार्यक्रमों में अमेठी के नए कोका-कोला बॉटलिंग प्लांट के बारे में बात करती हैं और ज्यादा समय की मांग करती हैं। वो कहती हैं कि गांधी परिवार को जनता ने पचास साल से ज्यादा का समय दिया लेकिन उन्हें सिर्फ पांच साल मिले हैं। बीजेपी और स्मृति ईरानी दोनों ही यह उल्लेख करना नहीं भूलते कि उनके पास अब अमेठी में भी घर हैं और अब वो जल्द ही पीएम मोदी के दौरे का इंतजार कर रहे हैं।
प्रियंका के प्रचार संभाल से उत्साहित कांग्रेस कार्यकर्ता
दूसरी तरफ प्रियंका गांधी ने अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस के प्रचार का जिम्मा संभाल लिया है। कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं का कहना है कि उनके आने से कांग्रेस का अभियान जीवंत हो गया है। प्रियंका गांधी पहले ही केएल शर्मा के साथ अमेठी में 15 से अधिक “नुक्कड़ बैठकें” कर चुकी हैं। वह लगातार अमेठी के साथ अपने परिवार के पुराने कनेक्शन की बात करती हैं। प्रियंका गांधी की कहते हैं कि केएल शर्मा अमेठी की हर गली को जानते हैं।
प्रियंका गांधी के साथ इस लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर साथ दे रहे हैं राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत। प्रचार के दौरान केएल शर्मा खुद को आम कार्यकर्ता बताते हैं और कहते हैं कि गांधी परिवार का दरवाजा जैसे पहले खुला था, वैसे ही खुला रहेगा।
केएल शर्मा बोले- जीतें चाहे हारें, जनता की सेवा करेंगे
केएल शर्मा कांग्रेस पार्टी के जिला कार्यालय से अपना चुनावी कैंपेन चला रहे हैं। इसमें उनकी मदद पत्नी किरन बाला और बेटे अंजली कर रही हैं। इससे पहले गांधी परिवार द्वारा पूर्व के चुनावों में मुंशीगंज गेस्ट हाउस का उपयोग किया जाता था। केएल शर्मा से बात करते हुए कांग्रेस के अच्छे दिनों की बात करते हैं और भरोसा दिलाते हैं कि वो चुनाव जीते चाहें हारें, वो लोगों के लिए हमेशा खड़े रहेंगे।
शायद यही राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी में नाराजगी की सबसे बड़ी वजह भी है। राहुल गांधी 2019 लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद न तो यहां वापस लौटे और न ही ‘अपने परिवार’ का दिल फिर से जीतने की कोशिश की।

धर्म भी करेगा मतदान को प्रभावित?
गौरीगंज टाउन से करीब दस किलोमीटर दूर एक दलित परिवार कहता है कि उनके वोट मांगने किसी भी पार्टी से कोई नहीं आया। द इंडियन एक्सप्रेस की टीम जब इस परिवार से बात करने की कोशिश करती है तो 55 साल की महिला कृष्णवती बात करने से संकोच करती हैं लेकिन उनकी तीस साल की बेटी रेखा (कक्षा आठ के बाद स्कूल ड्रॉप आउट) कहती हैं, “हिंदू हैं, हम हिंदू पार्टी के लिए वोट करेंगे।” कृष्णावती तुरंत ही उन्हें चुप करवा देती हैं।