‘यूएस कस्टम्स एंड बार्डर पेट्रोल डेटा’ के अनुसार, साल 2022 में भारतीयों की एक बड़ी संख्या ने अमेरिका में अनधिकृत तरीके से घुसने की कोशिश की। बिना दस्तावेज के अमेरिकी सीमा पर पहुंचकर शरण मांगने वाले भारतीयों की संख्या 63,927 थी, जो पिछले वर्ष के आंकड़े से दोगुने से भी ज्यादा है। मेक्सिको के साथ लगी अमेरिका की दक्षिणी सीमा इस तरह से आने वालों की एक चिर-परिचित जगह है।
जनवरी में जार्जिया से सांसद रिच मैककार्मिक ने कहा था कि भारतीय-अमेरिकी अमेरिका में रह रहे सबसे अच्छे नागरिकों में से हैं। यह कहते हुए उन्होंने उन लोगों के लिए सुव्यवस्थित आव्रजन प्रक्रिया की मांग की, जो अमेरिका में रहकर यहां के कानून का पालन करें, समय पर करों का भुगतान करें और समाज में एक रचनात्मक और उत्पादक की भूमिका का निर्वाह करें।
अमेरिका में भारतीय अप्रवासन पर ‘माइग्रेशन पालिसी इंस्टीट्यूट’ (एमपीआइ) 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, अक्तूबर 2021 से लेकर सितंबर 2022 तक, अमेरिकी अधिकारियों ने दक्षिणी सीमा पर भारतीय प्रवासियों को 18,300 बार रोका। यह आंकड़ा पिछले साल दर्ज किए गए आंकड़े की तुलना में बहुत ज्यादा है। पिछली बार उन्हें 2600 बार रोका गया था।
सैन एंटोनियो, टेक्सास में ‘यूनिवर्सिटी आफ द इंकारनेट वर्ड’ में इतिहास और एशियाई अध्ययन की प्रोफेसर लोपिता नाथ के मुताबिक, अनधिकृत तरीके से पहुंचने वाले भारतीयों की बढ़ती संख्या यहां रह रहे प्रवासी भारतीयों की सकारात्मक छवि को धूमिल करने का काम कर सकती है।
एमपीआइ की रपट के अनुसार, साल 2021 तक अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों की संख्या 27 लाख है।
अमेरिका आने वाले भारतीय आम तौर पर उच्च शिक्षित होते हैं और कई भारतीय उच्च कुशल श्रमिकों के लिए नियोक्ताओं की ओर से दिए जाने वाले अस्थाई एच-1बी वीजा के जरिए पहुंचते हैं। अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे विदेशी छात्रों में भी भारतीय छात्रों की संख्या दूसरे नंबर पर है। हालांकि, अन्य देशों के लोगों की तुलना में भारतीय लोगों में अमेरिकी नागरिक बनने की प्रवृत्ति काफी कम है।
रपट में कहा गया है, अन्य समूहों की तुलना में भारतीय लोगों में स्वाभाविक रूप से अमेरिकी नागरिक होने की संभावना कम थी, जो यह दर्शाता है कि अस्थायी वीजा पर आने वालों की तादाद बहुत ज्यादा है। न्यूयार्क में रहने वाले अधिवक्ता रोहित बिस्वास कहते हैं कि नागरिकता पाने के कानूनी रास्ते कठिन होने के साथ ही, ज्यादा से ज्यादा भारतीय या तो अवैध रूप से प्रवेश करने की कोशिश करते हैं या फिर वीजा कानूनों का उल्लंघन करके यहां पहुंचते हैं।
रोहित बिस्वास के मुताबिक, हमारे यहां एक ऐसा आर्थिक तंत्र है जिसके संचालन के लिए कुछ अप्रवासियों की आवश्यकता होती है लेकिन मुझे नहीं लगता कि हमारे पास ऐसी आव्रजन प्रणाली भी है जो इसका समर्थन करती है। तिरुवनंतपुरम में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट आफ माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट के अध्यक्ष एस इरुदया राजन के मुताबिक, कड़े वीजा नियम और संगठित प्रवासी तस्करी नेटवर्क के बावजूद अमेरिकी सीमा पर अवैध तरीके से पहुंच रहे भारतीयों की संख्या बढ़ रही है।
मानव तस्करी का नेटवर्क
साल 2020 में एक भारतीय उबर ड्राइवर को अवैध रूप से सीमा पार कराकर लोगों को ले जाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाद में जब जांच हुई तो इस एक गिरफ्तारी ने इसी तरह के 90 मामलों का पर्दाफाश किया जो अवैध तरीके से लोगों को अमेरिका में ले गए थे। एमपीआइ के आंकड़ों के अनुसार, साल 2021 में अमेरिका के श्रम बाजार में भारतीय प्रवासियों की भागीदारी काफी ज्यादा थी।
16 वर्ष और उससे अधिक आयु के श्रमिकों में भारतीयों की भागीदारी 72 फीसद है। यह भागीदारी विदेशी और अमेरिका में जन्मी आबादी दोनों से अधिक है। विदेशी नागरिकों की श्रम बाजार में भागीदारी 66 फीसद और अमेरिका में जन्मे लोगों की भागीदारी करीब 62 फीसद थी।