केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पर अमेरिका की आलोचना को खारिज करते हुए कहा है कि उन्हें भारत के इतिहास की समझ नहीं है। CAA पर दिए गए बयान को लेकर विदेश मंत्री ने कहा–“मैं उनके लोकतंत्र की खामियों, उनके सिद्धांतों पर सवाल नहीं उठा रहा हूं। मैं हमारे इतिहास के बारे में उनकी समझ पर सवाल उठा रहा हूं।”

एस जयशंकर ने कहा—“अमेरिका की टिप्पणी कानून के पीछे के ऐतिहासिक संदर्भ समझे बिना की गई थी। यह कानून भारत के विभाजन के दौरान पैदा हुई समस्याओं के समाधान के लिए लाया गया था।”

क्या बोले विदेश मंत्री?

 अमेरिकी विदेश विभाग ने इस सप्ताह सीएए पर कहा था कि अमेरिकी सरकार सीएए के लागू करने के तरीकों की बारीकी से निगरानी कर रही है और कहा गया था कि स्वतंत्रता और समानता के सिद्धांत जरूरी है। इसपर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि मेरे भी सिद्धांत हैं, और मेरा यह सिद्धांत उन लोगों के प्रति है जिन्हें विभाजन के समय निराश किया गया था। यदि आप मुझसे पूछें कि क्या अन्य देश जातीयता, आस्था या सामाजिक विशेषताओं के आधार पर नागरिकता देते हैं तो मैं आपको कई उदाहरण दे सकता हूं।

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA) 11 दिसंबर, 2019 को संसद में पारित किया गया था। जिसका उद्देश्य पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाई अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देना है। इसमें मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है और यही विवाद की वजह भी है। विपक्ष का कहना रहा है कि यह कानून संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन है—जो समानता की बात करता है।