केंद्र की बीजेपी के नेतृत्व वाली NDA सरकार पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बेरोजगारी को लेकर हमला बोला था, जिसका लोकसभा में सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने जवाब दिया। उधर, पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी रोजगार को लेकर अलग-अलग पार्टियां अपने-अपने हिसाब से दावा और वादा कर रही हैं। बेरोजगारी को लेकर छिड़ी इस बहस के बीच महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) से जुड़े कुछ हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं।
आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो बीते चार वर्षों के दौरान पिछले साल मनरेगा में रोजगार की कमी सबसे ज्यादा रही। नौबत यहां तक आ गई कि मनरेगा में मांगने पर भी लोगों को रोजगार नहीं मिल सका। पहले देशभर के आंकड़े की बात करते हैं, जो कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के हैं। पिछले साल 1.89 करोड़ लोग ऐसे रहे, जिन्होंने मनरेगा में काम मांगा, लेकिन उन्हें काम नहीं मिल सका। वित्त वर्ष 2021-2022 में 11.6 करोड़ लोगों ने मनरेगा के तहत रोजगार मांगा, जिनमें 9.7 करोड़ को ही काम मिल सका।
मनरेगा के तहत साल 2020 में सबसे ज्यादा 13.3 करोड़ लोगों ने काम मांगा था। इसका सबसे बड़ा कारण कोरोना था, क्योंकि बहुत से लोग शहरों को छोड़कर अपने गांवों की ओर पलायन कर गए थे। इसी तरह 2021 के आंकड़ों के मुताबिक, 11.6 करोड़ ने मनरेगा के तहत काम मांगा, मतलब 2020 की तुलना में ये संख्या करीब दो करोड़ कम हो गई।
पिछले साल एक तरफ तो मनरेगा के तहत रोजगार कम मिला, वहीं दूसरी तरफ इस साल यानी 2022 के बजट में मनरेगा के लिए 25 प्रतिशत बजट को घटा दिया गया। ऐसे में विशेषज्ञ यह आशंका जता रहे हैं कि इससे बेरोजगारी की समस्या कहीं और गंभीर न हो जाए। पिछले साल मनरेगा के लिए सरकार ने 98 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा था, जिसे इस साल घटाकर 73 हजार करोड़ कर दिया गया है।
अब राज्यवार स्थिति पर एक नजर डालते हैं। पिछले साल गुजरात में 25.45 लाख लोगों ने मनरेगा के तहत काम मांगा, इनमें सिर्फ 8.84 लाख लोगों को रोजगार मिल सका। बिहार में 52.35 लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया, लेकिन 13.41 लाख को ही रोजगार मिल सका। इसी प्रकार से एमपी में 1.14 करोड़ ने काम मांगा, जबकि 25.78 लाख को ही रोजगार प्राप्त हो सका। हरियाणा में कुल 6.52 लाख लोगों ने मनरेगा के तहत काम मांगा, जबकि 1.34 को ही इस योजना के तहत काम मिल सका। छत्तीसगढ़ में 61.39 लाख रजिस्ट्रेशन हुए, जबकि काम मिला सिर्फ 12.22 लाख को।
महाराष्ट्र में 35.64 लाख ने मनरेगा के तहत रजिस्ट्रेशन कराया, जबकि काम मिला 6.17 लाख लोगों को। झारखंड में 34.64 लाख ने रोजगार मांगा और 5.97 लाख को ही काम उपलब्ध हो सका। उत्तर प्रदेश में 1.09 करोड़ ने रोजगार मांगा और मिला केवल 17.72 को। राजस्थान में 1.07 करोड़ ने रोजगार मांगा और मिला कुल 15.45 लाख लोगों को। पंजाब में 12.16 लाख लोगों ने मनरेगा के तहत रजिस्ट्रेशन कराया और काम मिला सिर्फ 1.70 लाख लोगों को। पश्चिम बंगाल में 1.17 करोड़ लोगों ने काम मांगा, जबकि 12.57 को रोजगार मिला। इसी प्रकार से हिमाचल प्रदेश में 9.80 लाख लोगों ने रोजगार मांगा, जबकि मिला सिर्फ 98 हजार लोगों को।