संसद के इस बार के मानसून सत्र में हर रोज कुछ ना कुछ सरकार और विपक्ष के बीच नए आरोप लगते रहे हैं। पेगासस मुद्दे पर विपक्ष का हंगामा लगातार जारी है और वो चर्चा के साथ-साथ जांच कराने की मांग कर रहे हैं। इन सब के बीच अब विपक्ष ने लोकसभा टीवी पर बड़ा आरोप लगाया है।

विपक्ष का कहना है कि सदन के भीतर का विरोध, अंदर की स्क्रीन पर तो दिखाया जाता है लेकिन बाहर प्रसारित होने वाले कंटेंट से ये हटा लिया जाता है। शुक्रवार को, जब लोकसभा की आखिरी बैठक हुई, तब लोकसभा टीवी ने सिर्फ 72 सेकंड के लिए विपक्ष के विरोध को दिखाया, जबकि उस दिन सदन की कार्यवाही दो बैठकों में कुल 45 मिनट तक चली थी।

हालांकि, विपक्षी सांसद सत्र के समय कुछ देर के लिए छोड़ दें तो वो अपनी सीटों पर नहीं थे। जब स्पीकर ओम बिरला ने 1945 के हिरोशिमा-नागासाकी बम विस्फोटों के पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी और टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीतने के लिए भारत के पहलवान रवि कुमार दहिया को बधाई दी, तब तक तो वो सीट पर थे, फिर सुबह 11 बजे से 11.21 बजे तक चली कार्यवाही के दौरान कांग्रेस, डीएमके, वाम दलों और टीएमसी के सदस्य सदन के वेल में थे।

इसके बाद सदन की जब कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो सरकार ने दो प्रमुख विधेयक पारित करवाए। इस दौरान भी विपक्ष का हंगामा जारी रहा। LSTV के प्रधान संपादक सह मुख्य कार्यकारी मनोज के अरोड़ा ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि चैनल इसके लिए निर्धारित नियमों का पालन करता है।

LSTV सूत्रों के अनुसार सदन की कार्यवाही का सीधा प्रसारण, वास्तव में यह नहीं बताता कि लोकसभा के अंदर क्या हुआ था। सूत्रों ने कहा कि सदन में टीवी स्क्रीन सीसीटीवी सिस्टम का हिस्सा है, जबकि चैनल द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला कैमरा फीड अलग है। LSTV केवल प्रसारण के लिए जिम्मेदार है। सीसीटीवी या उसके कैमरे हमारे नियंत्रण में नहीं हैं।

सूत्रों ने कहा कि जब अध्यक्ष बोलते हैं या प्रधान मंत्री बोलते हैं, तो उसे उन पर ध्यान केंद्रित करना होता है। नियम यह भी कहते हैं कि ध्यान उस सदस्य पर होना चाहिए जो बोल रहा हो, चाहे वह प्रश्न-उत्तर के लिए हो, सार्वजनिक महत्व के मामले हों या किसी बहस में भाग लेने के लिए।

बता दें कि इस समय संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है। सरकार इस सत्र में कई महत्वपूर्ण बिल पास कराने की कोशिश में लगी हुई है, लेकिन विपक्ष के हंगामे के कारण ये कठिन होता जा रहा है। विपक्ष की एक ही मांग है, पेगासस जासूसी कांड पर सदन के अंदर चर्चा और इस मामले की जांच की जाए। जिसके लिए अभी तक सरकार तैयार नहीं दिख रही है।