अपूर्व विश्वनाथ

यौन उत्पीड़न के मामले में आरोपी पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा नेता चिन्मयानंद को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दे दी। सोमवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह पूरी तरह से ‘किसी चीज की एवज में मांगने’ का मामला है। अदालत ने कहा कि इस मामले में युवती का आचरण “आश्चर्यजनक” था और उसने फिरौती के लिए आरोपी को ब्लैकमेल करने की कोशिश की।

जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने अपने आदेश में कहा, ‘एक लड़की, जिसकी वर्जिनिटी दांव पर थी, उसने इस कथित घटना के बारे में अपने खुद के माता-पिता या अदालत के सामने एक भी शब्द नहीं कहा।’ जस्टिस चतुर्वेदी ने कहा कि ये आश्चर्यजनक आचरण है जो अभियोजन की पूरी बात को सरलता से कहती है।

सीआरपीसी के सेक्शन 173 के तहत पुलिस की अंतिम रिपोर्ट के आधार पर जस्टिस ने इस बात का उल्लेख किया कि भारत सरकार में गृह राज्य मंत्री के पद रह चुका व्यक्ति खुद को एक सबसे इतने लंबे समय तक अविवेकपूर्ण घटना में शामिल कर लेता है। सीआरपीसी की धारा 164 के तहत महिला के बयान पर अदालत ने कहा कि पुलिस के सामने दिए गए बयानों के अनुसार इसमें कुछ संशोधनों के साथ लगभग वहीं बातें हैं।

अदालत ने पीड़िता की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि उसने अपने माता-पिता के अलावा किसी के सामने कुछ भी नहीं कहा। उस बुरे समय में उसने खुद से चश्मे में फिट खुफिया कैमरा खरीदा, इससे उसने आरोपी के नग्न वीडियो शूट किए। इसके बाद उन वीडियो का प्रयोग आरोपी से फिरौती की रकम मांगने के लिए किया गया।

अदालत ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम में यह समझना मुश्किल है कि किसने किसका इस्तेमाल किया? अदालत ने पीड़िता और उसके पिता के बीच संबंधों पर भी आश्चर्यजनक रूप से सवाल उठाए। अदालत ने मामले में दर्ज एफआईआर के आधार पर कहा कि एक पिता को अपनी बेटी की स्थिति के बारे में जानकारी उसके फेसबुक अकाउंट से मिलती है।

मालूम हो कि स्वामी पर उनके ही कॉलेज में पढ़ने वाली कानून की एक छात्रा ने दुष्कर्म और ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो सदस्यीय विशेष पीठ गठित करने की बात कहते हुए पूरे मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया था।

पुलिस ने पिछले साल सितंबर महीने में यौन शोषण के आरोपी स्वामी चिन्मयानंद को गिरफ्तार किया था। यह गिरफ्तारी स्वामी के मुमुक्ष आश्रम से हुई थी। वहीं, चिन्मयानंद ने भी कानून की छात्रा और उसके साथियों पर ब्लैकमेल कर कथित रूप से 5 करोड़ रुपये मांगने का आरोप लगाया ता। एसआईटी इन दोनों मामलों की जांच कर आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है। इस मामले में जमानत पर बाहर कानून की छात्रा समेत 5 अन्य को भी नामजद किया गया है।