मशहूर पर्यावरणविद् और दिल्ली विश्वविद्यालय को अपनी सेवाएं दे चुके प्रोफेसर सीआर बाबू ने अपनी शिफारिशों में सुझाव दिया है कि वृंदावन के ऐतिहासिक घाटों का पुनरुद्धार और यमुना रिवरफ्रंट्स का सौंदर्यीकरण के लिए यमुना किनारे बने सभी अवैध ढांचों को ध्वस्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कि अगर ऐसी जगहों पर अस्थाई मंदिर भी बनाए गए हैं तो उन्हें धवस्त किया जाए। हाल ही में केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को सौंपी एक प्रस्तावित कार्य योजना रिपोर्ट में सीआर बाबू ने सुझाव दिया है कि अस्थाई मंदिरों को ध्वस करने के अलावा ठोस कचरे के ढेर, सीवर पाइप और प्लास्टिक के ढेर को यमुना किनारे से हटाया जाना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि प्रोफेसर बाबू से मंत्रालय ने राय मांगी थी कैसे यमुना के वृंदावन घाट को दोबारा उसके 400-500 साल पुराने मूल स्वरूप में लाया जाए। इसके लिए एक एक्शन प्लान भी बनाने को कहा गया। प्रोफेसर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि गंदे पानी के यमुना किनारे गुजरने से पहले उपयोग में लाया जाना चाहिए और इसके लिए झीलों का निर्माण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के स्थाई आदेशों के मुताबिक मथुरा-वृंदावन के नगर आयुक्त को बाढ़ के मैदान का सीमांकन शुरू करना चाहिए और ठोस कचरे और यहां तक​कि धार्मिक सामग्रियों को वहां फेंकने पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए।

बता दें कि प्रोफेसर बाबू ने 14 अगस्त को ब्रज फाउंडेशन के अधिकारियों और नगर निगम के मुख्य इजीनियरों और उनकी टीम के सदस्यों के साथ यमुना के उस पूरे हिस्से का दौरा किया जो स्नान घाटों से होकर गुजरता है, इसके बाद उन्होंने रिपोर्ट प्रस्तुत की। मथुरा-वृंदावन कॉर्पोरेशन के चीफ इंजीनियर पीके मित्तल ने एक अंग्रेजी अखबार को बुधवार को बताया कि बाबू को वे घाट दिखाए गए जिनकी वृंदावन में दोबारा मरम्मत की जा रही है।