बिहार में इन दिनों चल रहे ‘‘संवैधानिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता’’ को जदयू के भीतर चल रही वर्चस्व की लड़ाई का नतीजा बताते हुए भाजपा ने आज कहा कि उसके सभी विकल्प खुले हैं और वह समय आने पर परिस्थितियों के अनुसार निर्णय करेगी।
बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खेमों के बीच 20 फरवरी को होने जा रहे शक्ति परीक्षण से चार दिन पहले राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने आज यहां कहा, ‘‘हम बिहार के घटनाक्रम पर गहरी नजर रखे हुए हैं। आगे की रणनीति पर चर्चा के लिए भाजपा विधायक दल की बैठक 18 फरवरी को बुलाई गई है।’’
यह पूछे जाने पर क्या विश्वास मत में भाजपा मांझी का समर्थन करेगी, मोदी ने कहा, ‘‘हम सदन में विश्वासमत के समय निर्णय करेंगे। हमारे पास सभी विकल्प खुले हैं। हम परिस्थिति देखकर निर्णय करेंगे। …सदन में कोई निर्णय नहीं हो पाया तो हम अपने अगले कदम के बारे में विचार करेंगे।’’
नीतीश कुमार को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा, ‘‘बिहार में 20 महीने से जो ड्रामा चल रहा है और वहां जो संवैधानिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता बनी है उसके अकेले जिम्मेदार और जवाबदेह नीतीश कुमार हैं। उनके सत्ता के लालच के चलते ये हालात पैदा हुए हैं।’’
मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार बिहार में शासन करने का जनादेश खो चुके हैं। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने लालू प्रसाद के राजद और कांग्रेस के खिलाफ भाजपा-जदयू गठबंधन के पक्ष में जनादेश दिया था लेकिन नीतीश ने न सिर्फ वह गठबंधन तोड़ दिया बल्कि उन्हीं लालू और कांग्रेस से मिल कर मुख्यमंत्री के तौर पर लौटने की हडबड़ाहट में हैं जिनके खिलाफ जनता ने बहुत स्पष्ट निर्णय दिया था। उन्होंने कहा कि नीतीश को नया जनादेश लेना चाहिए।
भाजपा नेता ने कहा, ‘‘नीतीश कुमार ने तीन बड़ी गलतियां कीं। पहली, बिहार की जनता के जनादेश के साथ धोखा किया, जिसके लिए उन्हें प्रदेश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। दूसरी गलती लालू प्रसाद और कांग्रेस से हाथ मिला कर की, जिनके विरुद्ध राज्य की जनता का जनादेश था और तीसरी गलती महादलित मांझी को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मुहिम शुरू करके की। बिहार की जनता इन गलतियों के लिए चुनाव में नीतीश कुमार को सही जवाब देगी।’’
नीतीश पर हमला जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि आज मांझी को बहुमत सिद्ध करने के लिए ‘‘सात-आठ’’ दिन दिए जाने को वह ज्यादा बता रहे हैं जबकि वर्ष 2000 में उन्हें भी बहुमत साबित करने के लिए लगभग इतना ही समय दिया गया था।
मोदी ने कहा कि नीतीश आज शिकायत कर रहे हैं कि 20 फरवरी को चूंकि मांझी को बहुमत साबित करना है इसलिए राज्यपाल को उस दिन उनका लिखा अभिभाषण नहीं पढ़ना चाहिए। नीतीश को उन्होंने याद दिलाया कि तीन मार्च 2000 को जब वह कुछ दिन के लिए मुख्यमंत्री बने थे और बहुमत भी साबित नहीं कर पाए थे तब भी उस दिन तत्कालीन राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश के लिखे भाषण को पढ़ा था।