संसदीय पैनल ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण लागू करने के एनडीए सरकार के आश्वासन को वापस लेने की अनुमति दे दी है। सरकार ने यह आश्वासन लोकसभा में दिया था। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नवंबर 2016 में एक प्रश्न के उत्तर में लोकसभा में बताया था कि एएमयू “स्वयं को अल्पसंख्यक संस्था मानकर” जाति आरक्षण लागू नहीं कर रहा है, और इसका अल्पसंख्यक दर्जा सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है।

मंत्रियों के सदन में बयानों को देखने वाली लोकसभा समिति ने कहा है सरकार यह मान सकती है कि यह एएमयू में आरक्षण लागू करवाने के लिए था। लेकिन मंत्रालय ने हाल ही में समिति को बताया कि एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा अभी भी विचाराधीन है और उसे अपने आश्वासन से वापस लेने का अनुरोध किया था। अधिकारियों ने बताया कि समिति ने इस पर सहमति व्यक्त की थी।

इस मामले में पूछने पर कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल ने कुछ भी बोलने से मना कर दिया। उनका कहना है, “मैं इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोल सकता हूं। यह कमेटी का मामला है।” अधिकारियों ने कहा कि लोकसभा सचिवालय में उपसचिव एसएल सिंह ने पिछले हफ्ते कई मंत्रालयों को आश्वासन वापस लेने की अनुमति देने की कमेटी के निर्णय की सूचना दे दी है।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है। वहां पर अल्पसंख्यक का दर्जा होने का आधार मानकर किसी भी तरह के आरक्षण लागू करने से विश्वविद्यालय मना करता रहा है। इसको लेकर कई वर्षों से बहस चल रही है। हालांकि विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान है या नहीं यह भी अभी तय नहीं हो सका है।