उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) के शीर्ष नेताओं के बीच की जंग सबको नजर आने लगी है। मुख्तार अंसारी की पार्टी के विलय को लेकर हुआ विवाद इतना बढ़ गया कि मंगलवार (13 सितंबर) को मुख्यमंत्री अखिलेश ने अपने चाचा शिवपाल यादव से तीन मंत्रालय छीन लिए। शिवपाल के पास अबतक पीडब्लयू, सिंचाई, राजस्व विभाग और समाज कल्याण विभाग की जिम्मेदारी थी। लेकिन मंगलवार को सीएम अखिलेश ने शिवपाल से पीडब्लयू, सिंचाई, राजस्व विभाग वापस ले लिए। अब शिवपाल के पास बस समाज कल्याण विभाग रह गया है। चाचा-भतीजे के बीच इस कलह की शुरुआत कब और कैसे हुई। देखिए-

21 जून 2016: समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रांतीय प्रभारी और यूपी के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने कौमी एकता दल के अध्यक्ष अफजाल अंसारी के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस विलय का औपचारिक ऐलान किया था। उन्होंने कहा कि अंसारी पहले भी सपा में रह चुके हैं और अब वह अपने घर वापस आ गए हैं। सीएम अखिलेश यादव मंगलवार को जौनपुर गए थे। उनके लौटकर आने से इससे पहले ही यह विलय हो चुका था।

22 जून: अखिलेश को विलय की खबर मिली। उन्होंने वापस आते ही यूपी के माध्यमिक शिक्षा मंत्री बलराम सिंह यादव को बर्खास्त कर दिया है। बलराम सिंह उन प्रमुख नेताओं में शामिल थे जिन्होंने कौमी एकता दल का विलय करवाने में अहम रोल अदा किया था। बलराम सिंह यादव पर हुई कार्रवाई के बाद सवाल भी उठे थे कि क्या अखिलेश अपने चाचा शिवपाल के खिलाफ भी कोई एक्शन लेंगे। क्योंकि वह भी विलय के वक्त वहीं पर थे। इसी दिन शिवपाल ने सफाई भी दी थी कि विलय कौमी एकता दल का हुआ है मुख्तार अंसारी का नहीं।

25 जून: अखिलेश की नाराजगी के बीच फैसला आ गया कि कौमी एकता दल के साथ विलय नहीं होगा। उस वक्त अखिलेश ने एक टीवी इंटरव्यू मे कहा था, ‘यह फैसला मैंने नहीं लिया था। मुझे प्रदेश अध्यक्ष की हैसियत से मुख्यमंत्री की हैसियत से जिस प्लेटफार्म पर कहना होगा, मैं कहूंगा। मैंने कह दिया ना कि मुख्तार नहीं होंगे हमारी पार्टी में।’

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28 जून: कौमी एकता दल के अध्‍यक्ष अफजाल अंसारी ने अखिलेश को ‘घमंडी सीएम’ बताया था। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी थी कि विधानसभा चुनावों में पूर्वी उत्‍तर प्रदेश में कौमी एकता दल अखिलेश को सबक सिखाएगा। उन्होंने शिवपाल सिंह यादव को ‘भगवान हनुमान’ बता दिया। जो मुलायम सिंह यादव के निर्देशों का ‘भगवान राम’ के एक ‘भक्‍त’ की तरह पालन करते हैं।

15 अगस्त: दरअसल, शिवपाल सिंह यादव ने पार्टी छोड़ने का इशारा किया था। इसपर मुलायम सिंह यादव ने उनका समर्थन करते हुए अखिलेश को डांट लगाई थी। उन्होंने कहा था कि अगर शिवपाल पार्टी छोड़ गए तो पार्टी टूट जाएंगे।

16 अगस्त: अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने कहा, ‘सब मंत्री गड़बड़ कर रहे हैं। असल कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हो रही है।’ उन्होंने आरोप लगाया था कि सपा में खुशामद का दौर है। असल कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हो रही है।

12 सितंबर: यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने भ्रष्चाचार के आरोप में अपने दो मंत्रियों गायत्री प्रजापति और राजकिशोर सिंह को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया है। दोनों मंत्रियों को मुलायम सिंह यादव का करीबी बताया जाता है।

13 सितंबर: पार्टी अध्‍यक्ष मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की जगह शिवपाल सिंह यादव को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। 13 सितंबर को ही अखिलेश ने चाचा शिवपाल से तीन मंत्रालय वापस ले लिए थे।

14 सितंबर: शिवपाल सिंह यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके साफ किया कि वह मुलायम सिंह यादव से बात करके आगे कोई फैसला लेंगे।

15 सितंबर: समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि एक आदमी पार्टी का नुकसान करने पर तुला हुआ है। साथ ही उन्होंने अखिलेश यादव को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाए जाने को भी गलत बताया। इसी दिन शिवपाल सिंह यादव ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के पद के साथ बाकी सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। अखिलेश ने उनका मंत्री पद से इस्तीफा नामंजूर कर दिया।

16 सितंबर: शिवपाल घर के बाहर प्रदर्शन कर रहे अपने समर्थकों से मिले। वे सब ‘शिवपाल को न्याय दो’ और ‘रामगोपाल को बाहर करो’ के नारे लगा रहे थे। शिवपाल ने सबको मुलायम सिंह यादव के पास जाने की सलाह दी।

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