Ajmer Dargah-Sambhal: अजमेर दरगाह को लेकर इस समय विवाद चल रहा है, हिंदू पक्ष ने दावा कर रखा है कि वहां उनके भगवान शिव का मंदिर है। निचली अदालत ने उनकी याचिका भी स्वीकार कर ली है और सभी पक्षों से जवाब दाखिल करने को कहा गया है। एक किताब को आधार बनाकर हिंदू पक्ष ने तर्क दिया है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनी है। संभल में भी मस्जिद का सर्वे इसलिए हुआ है क्योंकि वहां मंदिर होने के कथित प्रमाण मिले हैं।
लेकिन भारत का जैसा इतिहास रहा है, जितने हमले इस पर हुए हैं, उसे देखते हुए हिंदू-मुस्लिम तनाव का विवाद भी सदियों पुराना है। आज भी एक समुदाय मानता है कि उनके धार्मिक स्थलों को तोड़कर कई स्थानों पर मस्जिदों का निर्माण हुआ है। मुस्लिम पक्ष उस इतिहास का जिक्र तो नहीं करता, लेकिन उसके लिए वो कानून ज्यादा जरूरी है जो उसकी मस्जिदों को सुरक्षा प्रदान करता है- The Places of Worship (Special Provisions) Act, 1991।
अब यहां आपको कुछ ऐसे ही धार्मिक स्थल के बारे में बताते हैं जिन्हें लेकर विवाद की स्थिति है-
ज्ञानवापी मस्जिद- वाराणसी
वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी एक मस्जिद भी है, उसका नाम ज्ञानवापी है। कुछ इतिहासकारों और हिंदू पक्ष का मानना है कि 1699 में मुगल शासक औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तुड़वा दिया था, वहां पर मस्जिद का निर्माण करवाया। बाद में 1780 ने इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर फिर उस मंदिर का निर्माण करवाया था, लेकिन मस्जिद को नहीं छेड़ा गया। अब इस मस्जिद को लेकर 1991 में सबसे पहले याचिका दाखिल हुई थी, 2019 में में यहां एक सर्वे भी हो चुका है। मामला कोर्ट में लंबित चल रहा है।
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शाही ईदगाह- मथुरा
ज्ञानवापी की तरह शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर भी विवाद की स्थिति है। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर से सटी हुई यह मस्जिद है। हिंदू पक्ष मानता है कि भगवान कृष्ण का जन्म यहां हुआ था, यह उनकी जन्मस्थली है। वहीं कुछ इतिहासकार मानते हैं कि मुगल शासक औरंगजेब ने 1669-70 में भगवान कृष्णके भव्य केशवनाथ मंदिर को तुड़वा दिया था। वहां पर शाही ईदगाह मस्जिद बनवा दी गई। फिर कई दशकों बाद 1968 में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह कमिटी के बीच एक समझौता हुआ जिसके तहत 13.37 एकड़ जमीन का स्वामित्व ट्रस्ट को मिला और ईदगाह मस्जिद का मैनेजमेंट ईदगाह कमेटी को मिल गया। यह मामला भी कोर्ट में लंबित है।
कमल मौला मस्जिद- धार
मध्य प्रदेश के धार में कमल मौला मस्जिद स्थित है जिसे लेकर दावा होता है कि किसी जमाने में यहां पर माता सरस्वती का भव्य मंदिर हुआ करता था। हिंदू पक्ष उस जगह भोजशाला के नाम से संबोधित करते हैं। हिंदू समुदाय के मुताबिक 1034 में राजा भोज ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। लेकिन फिर 1305 में अलाउद्दीन खिलजी ने यहां हमला किया, फिर मुस्लिम कमांडर दिलावर खान ने भोजशाला के एक हिस्से को दरगाह बनाने की कवायद की। बाद में महमूदशाह ने भोजशाला पर हमला कर वहां कमल मौलाना मस्जिद बना डाली। अब क्योंकि इस स्थल को लेकर विवाद है, इसलिए इसकी देखरेख ऑकियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया करती है।
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद- कुतुब मीनार
दिल्ली में कुतुब मीनार एक मशहूर पर्यटन स्थल है, लेकिन यहां जो शुक्रवार मस्जिद है, इसे लेकर विवाद की स्थिति है। अयोध्या की खुदाई में शामिल आर्कियोलॉजिस्ट केके मुहम्मद ने दावा किया था इस मस्जिद का निर्माण 27 हिंदू मंदिर और जैन मंदिरों को खत्म कर किया गया। यह मामला कोर्ट में जा चुका है, सुनवाई भी हुई है।
बीजा मंडल मस्जिद- विदिशा
मध्य प्रदेश के विदिशा में स्थित बीजा मंडल मस्जिद को लेकर भी सैकड़ों सालों से विवाद चल रहा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि यहां पर पहले चर्चिका देवी का मंदिर हुआ करता था। इतिहासकार मानते हैं कि जब परमार राजाओं का यहां पर राज था, तब देवी विजिया को समर्पित करते हुए एक मंदिर का निर्माण हुआ था। उस मंदिर को ही चर्चिका देवी के नाम से जाना गया। हिंदू पक्ष का दावा है कि इस मंदिर को भी औरंगजेब ने ही 1658-1707 के दौरान तुड़वा दिया था। यहां तक दावा होता है कि मूर्तियों को दफनाकर वहां मस्जिद निर्माण हुआ।
जामा मस्जिद-अहमदाबाद
गुजराज के अहमदाबाद में एक जामा मस्जिद है, उसे लेकर एक समुदाय दावा करता है कि वो हिंदू मंदिर भद्रकाली को तोड़कर बनाई गई है। कथित आरोप है कि अहमद शाह प्रथम ने 1424 में उस मंदिर को तुड़वाकर वहां मस्जिद का निर्माण करवा दिया। हिंदू पक्ष तो यहां तक मानता है कि इस मस्जिद के जो खंभे हैं, वो मंदिरों के स्टाइल से मेल खाते हैं।
अदीना मस्जिद- बंगाल
पश्चिम बंगाल के मालदा में अदीना मस्जिद स्थित है, इसका निर्माण सिकंदर शाह ने 1358-90 के बीच में करवाया था। लेकिन हिंदुओं का दावा है कि इसी स्थान पर एक समय भगवान भोलेनाथ का प्रचीन आदित्यनाथ मंदिर हुआ करता था। सिकंदर शाह ने उस मंदिर को तुड़वाकर ही वहां मस्जिद निर्माण करवाया। हिंदू पक्ष तो यह दलील तक देता है कि इस मस्जिद के कई हिस्से मंदिरों से मेल खाते हैं। इसी वजह से यहां कई मौकों पर तनाव की स्थिति देखी जा चुकी है।
वैसे इन मस्जिदों को लेकर विवाद चल रहा है, लेकिन ताजा तनाव अजमेर दरगाह को लेकर है। इस समय लोगों की दिलचस्पी इस जगह को लेकर ज्यादा ही बढ़ गई है। इसी जगह को लेकर एक मशहूर किताब भी है जिसका जिक्र आज हिंदू समाज अपने पक्ष में लगातार कर रहा है। इतिहास का वो पन्ना टटोलने के लिए यहां क्लिक करें