Alind Chauhan
दिल्ली-एनसीआर में एयर पॉल्यूशन के कारण लोगों का जीना बेहाल हो गया है। दिल्ली की हवा जहरीली हो गई है और सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर पंजाब, राजस्थान और हरियाणा की सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि किसानों को पराली जलाने से रोकने का निर्देश दें। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि एमसीडी को निर्देश दें कि शहर में नगरपालिका सॉलिड वेस्ट ना जलाए।
2016 में आईआईटी कानपुर ने एक स्टडी की थी और उसने वायु प्रदूषण की गुणवत्ता पर एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि प्रदूषण को रोकने के लिए किन कदमों को उठाए जाने की आवश्यकता है। जानिए
- होटल और रेस्तरां में कोयले का उपयोग बंद करें: रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में लगभग 9,000 होटल और रेस्तरां हैं जो कोयले का उपयोग करते हैं।
- सभी को एलपीजी मिले: प्रत्येक घर को खाना पकाने के लिए लकड़ी, फसल अवशेष, गाय के गोबर और कोयले का उपयोग करने से बचना चाहिए। सभी को एलपीजी गैस का उपयोग करना चाहिए। इससे पीएम 2.5, पीएम 10 और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) का स्तर कम हो जाएगा।
- नगरपालिका सॉलिड वेस्ट जलाना बंद करें: सॉलिड वेस्ट में रोजमर्रा की वस्तुएं हैं जिनका हम उपयोग करते हैं और फिर फेंक देते हैं। इनमें उत्पाद पैकेजिंग, फर्नीचर, कपड़े, बोतलें, खाद्य स्क्रैप, समाचार पत्र, उपकरण और बैटरी शामिल हैं। 2015 के एक अध्ययन में पाया गया कि दिल्ली में हर दिन 190 से 246 टन सॉलिड वेस्ट जलता है, जो हवा को गंभीर रूप से प्रदूषित करता है। इसलिए किसी भी प्रकार के कचरा जलाने को रोका जाना चाहिए।
- निर्माण और तोड़फोड़ वाले स्थलों को ढकें: निर्माण क्षेत्र को कवर करना, कच्चे माल को कवर करना, रेत जैसे कच्चे माल को उड़ने से रोकने के लिए पानी के स्प्रे और विंडब्रेकर का उपयोग करना, परिसर के अंदर कचरे का भंडार करना और निर्माण को कवर करना जैसे उपाय अपनाने की जरूरत है। इससे हवा की गुणवत्ता में 50% तक सुधार हो सकती है।
- कंक्रीट बैचिंग के दौरान विंडब्रेकर और टेलीस्कोपिक शूट का उपयोग करें: कंक्रीट बैचिंग कंक्रीट बनाने के लिए सामग्री को मिलाने की प्रक्रिया है। यह दिल्ली में फ्लाई ऐश उत्सर्जन का एक अन्य प्रमुख स्रोत है। इसे कम करने के लिए वहां पानी के स्प्रे, विंडब्रेकर और टेलीस्कोपिक शूट का उपयोग करने की आवश्यकता होती है।
- इलेक्ट्रिक, बीएस-VI वाहनों के उपयोग को बढ़ावा दें: रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्दियों में औसतन वाहन पीएम 2.5 के स्तर में 25% तक का योगदान दे सकते हैं और कुछ स्थानों पर यह 35% तक बढ़ सकता है। डीज़ल पार्टिकुलेट फ़िल्टर (DPF) का उपयोग करने से डीज़ल वाहनों से उत्सर्जन में काफी कमी आ सकती है। अधिक इलेक्ट्रिक, हाइब्रिड और बीएस-VI वाहनों की शुरूआत से भी मदद मिल सकती है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुधार भी जरूरी है।
- बिजली संयंत्रों में De-SOx-ing और De-NOx-ing सिस्टम: दिल्ली में बड़े बिजली संयंत्र और रिफाइनरियां सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) जैसे प्रदूषक उत्सर्जित करती हैं। उन्हें सीमित करने के लिए इन संयंत्रों और रिफाइनरियों को De-SOx-ing और De-NOx-ing सिस्टम स्थापित करने की आवश्यकता है।
- पेट्रोल पंपों को वेपर रिकवरी सिस्टम स्थापित करना चाहिए: पेट्रोल में Volatile organic Compounds (VOCs) होते हैं जो भंडारण टैंकों में पेट्रोल उतारने या वाहनों में ईंधन भरने के दौरान वायुमंडल में फैल जाते हैं। ये पेट्रोल धुंध का निर्माण करते हैं और जनता के लिए संभावित स्वास्थ्य जोखिम पैदा करते हैं। वेपर रिकवरी सिस्टम उत्सर्जन को कम करने में मदद करती हैं।
- बायोमास जलाने को सीमित करें: रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा और पंजाब में फसल अवशेषों को जलाना बंद करने की जरूरत है। जलाने के बजाय अवशेषों का उपयोग ऊर्जा उत्पादन, बायोगैस उत्पादन और मवेशियों को खिलाने के लिए किया जा सकता है।
- फ्लाई ऐश से निपटें: रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्मियों के दौरान फ्लाई ऐश दिल्ली में PM10 में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक है। प्रदूषकों से निपटने के लिए पानी का छिड़काव, विंडब्रेकर की स्थापना और वृक्षारोपण किया जाना चाहिए।