यूपीए कार्यकाल के दौरान ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) 9 साल तक कांग्रेस के साथ गठबंधन में रही थी। एक न्यूज चैनल के लाइव डिबेट कार्यक्रम में एआईएमआईएम प्रवक्ता वारिस पठान ने इस गठबंधन पर कहा कि रजिया गुंडों में फंस गई थी। डिबेट में शामिल बीजेपी के तेज तर्रार प्रवक्ता संबित पात्रा ने एआईएमआईएम प्रवक्ता के इस बयान पर उन्हें जमकर उकसाया।

दरअसल आज तक के लाइव डिबेट कार्यक्रम में हाल में हुई मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर बहस चल रही थी। इस दौरान पात्रा और पठान के बीच तीखी नोकझोंक हुई। डिबेट के दौरान एआईएमआईएम प्रवक्ता ने मॉब लिंचिंग की हालिया घटनाओं का जिक्र करते हुए पात्रा से कहा ‘झारखंड में तबरेज अंसारी को घुसकर मारा गया। सबको घुसकर मारो। आपको लोगों ने शायद इसीलिए बहुमत दिया है ताकि आप लोगों को घुस-घुसकर मारो।’

इसपर बीजेपी प्रवक्ता ने पलटवार करते हुए कहा ‘विडंबना देखिए एआईएमआईएम प्रवक्ता कह रहे थे कि कांग्रेस और बीजेपी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। मुझे हैरानी होती है। यूपीए के कार्यकाल के दौरान 9 सालों तक यही एआईएमआईएम कांग्रेस के साथ गठबंधन में थी। 2004 से 2013 तक ये दोनों (कांग्रेस और एआईएमआईएम) सिक्के के उस पहलू के साथ जुड़े हुए थे। साफ है कि जिस तरह कांग्रेस ने मुसलमानों का इस्तेमाल किया है ठीक उसी तरह एआईएमआईएम ने भी किया।’

पात्रा के इतना कहते ही वारिस पठान उन्हें बीच में ही रोकते हुए कहते हैं ‘संबित पात्रा जी हम तो अल्पसंख्यकों के लिए लड़ रहे हैं। हमारी तो यह हालात है कि जैसे रजिया गुंडों में फंस गई हो।’

एआईएमआईएम प्रवक्ता के इतना कहते ही संबित पात्रा कहते हैं ‘आप रजिया हैं या फिर ओवैसी रजिया हैं। कल से मैं ओवैसी को ‘ओवैसी रजिया’ कहकर पुकारूंगा।’ इसपर वारिस पठान कहते हैं कि वह खुद को रजिया बोल रहे थे न कि एआईएमआईएम  के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी को।’

मालूम हो कि झारखंड में तबरेज अंसारी नाम के 24 वर्षीय मुस्लिम युवक को भीड़ ने जबरन पीटा। इस दौरान उससे जय श्री राम का नारा बोलने के लिए कहा गया। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल है। युवक को पीटने के तीन दिन बाद उसकी मौत हो गई। वहीं पश्चिम बंगाल में कथित तौर पर जय श्री राम न बोलने पर एक स्कूल टीचर की जबरन पिटाई की गई है। पीड़ित शाहरुख हलदार का आरोप है कि उनसे जबरन नारा बुलवाया गया और बात नहीं मानने पर उन्हें चलती ट्रेन से फेंक दिया गया। उन्होंने बताया कि कोलकाता के पार्क सर्कस स्टेशन में उनके साथ यह घटना हुई। हालांकि उनकी जान तो बच गई लेकिन वह फिलहाल काम पर लौटने की स्थिति में नहीं हैं।

गौरतलब है कि बीते कुछ सालों से मॉब लिंचिंग यानि की भीड़ हिंसा की वजह से कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया है। भीड़ एक विशेष धर्म और जाति के नाम पर इतनी उग्र हो जाती है कि समय-समय पर इस तरह की घटनाएं सामने आती रहती हैं।