हैदराबाद से सांसद और आॅल इंडिया मजलिस ए इत्ताहिदुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने राममंदिर के निर्माण के लिए भाजपा को संसद में अध्यादेश लाने की चुनौती दी है। सांसद ओवैसी ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए बयान में कहा कि वे हर बार कहते रहते हैं कि राम मंदिर का निर्माण वह अध्यादेश लाकर करवा लेंगे। अगर उनमें हिम्मत है तो वह राम मंदिर बनाने के लिए अध्यादेश लाकर दिखाएं।
एआईएमआईएम के प्रमुख सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा,” वह राम मंदिर पर अध्यादेश क्यों नहीं लाते हैं? उन्हें लाने तो दीजिए। हर बार वे हमें डराते की कोशिश करते रहते हैं कि वे इस पर अध्यादेश ले आएंगे। भाजपा, आरएसएस और वीएचपी का हर नेता यही बात कहता है। आप लाइए अध्यादेश। आप सत्ता में हैं। मैं आपको चुनौती देता हूं कि आप करके दिखाइए। हम भी देखेंगे।” बता दें कि सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने ये बातें सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आज विवादित भूमि मामले की सुनवाई जनवरी तक टालने के फैसले के बाद कही।
Why don’t they bring it (ordinance on Ram temple)? Let them do it. Every time they are threatening that they will bring an ordinance. Every Tom, Dick & Harry of BJP, RSS, VHP says this. Do it. You are in power. I challenge you to do it. Let us see: Asaduddin Owaisi, AIMIM pic.twitter.com/XXXG4xQLtE
— ANI (@ANI) October 29, 2018
इससे पहले 23 अक्टूबर को यूपी के वाराणसी में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने की बात कही थी। काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के बाद केशव प्रसाद मौर्या ने मीडिया से कहा था कि, राम मंदिर निर्माण के दो ही विकल्प है, पहला समझौता और दूसरा सुप्रीम कोर्ट का निर्णय। इन दोनों विकल्पों की समाप्ति के बाद हम संसद में कानून बनाकर भव्य राम मंदिर का निर्माण कराएंगे। उन्होंने यह भी कहा, बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद, कार्यकर्ताओं के परिश्रम और देश की जनता से लगाव के कारण ही देश में फिर से बीजेपी की ही सरकार बनेगी। पार्टी 2014 के चुनावों से ज्यादा वोट पाकर फिर से 2019 में प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाएगी।
बता दें कि अयोध्या में जमीन के विवाद पर आज से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने वाली थी। लेकिन कुल दो मिनट की सुनवाई के बाद ही सुनवाई टल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब ये जनवरी में ही तय होगा कि इस मामले की सुनवाई कब होगी। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच कर रही थी। बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ शामिल थे। चीफ जस्टिस ने कहा कि अब जनवरी में उचित बेंच ही सुनवाई की तारीख तय करेगी।
हालांकि इस दौरान महाधिवक्ता तुषार मेहता और मामले से जुड़े अन्य पक्षकारों ने इस मामले की जल्द सुनवाई की मांग की। लेकिन चीफ जस्टिस रंजन गोगाई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अब जनवरी में उचित बेंच ही तय करेगी कि इस मामले की सुनवाई कब से हो। हालांकि ये तय नहीं है कि जनवरी में 70 साल पुराने इस मामले की सुनवाई करने वाली उचित बेंच में चीफ जस्टिस गोगोई होंगे भी या नहीं।
आज होने वाली सुनवाई में चीफ जस्टिस रंजन गोगाई की अध्यक्षता वाली बेंच को ये तय करना था कि इस मामले की सुनवाई कब से शुरू की जाए और इस मामले की सुनवाई रोज होनी चाहिए या नहीं। इस मामले में महत्वपूर्ण फैसला बीते 27 सितंबर को तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की बेंच ने 2:1 के बहुमत से सुनाया था। बेंच ने कहा था कि 1994 के संविधान पीठ के फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं है। इस फैसले में कहा गया था कि मस्जिद में नमाज पढना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है।