दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) के डॉक्टरों ने एक ऐसी सर्जरी को अंजाम दिया, जो काफी कठिन थी। लेकिन डॉक्टरों ने इसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया। उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के रहने वाले 17 वर्षीय नाबालिग लड़का चार पैरों के साथ एम्स में इलाज के लिए पहुंचा था। उसके शरीर में दो अतिरिक्त पैर पेट से जुड़े हुए थे। ऐसे में लड़का न तो ठीक से कपड़े पहन पाता था, ना ही ठीक से सो पता था। इसके कारण वह हर दिन दर्द से तड़पता था।

डॉक्टरों ने बदल दी जिंदगी

नाबालिग की पढ़ाई भी छूट गई और उसकी हालत देखकर डॉक्टर भी दंग रह गए। लेकिन एम्स के डॉक्टरों ने उसके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया। ढाई घंटे तक डॉक्टरों ने सर्जरी की और अब नाबालिग सामान्य लोगों की तरह जीवन बिता सकेगा। सर्जरी के चार दिन बाद ही लड़के को डिस्चार्ज कर दिया गया।

दुनिया में केवल 40 मामले किए गए दर्ज

डॉक्टर ने बताया कि लड़के को जन्म से ही रेयर प्रॉब्लम थी। उसे परासिटिक ट्विन था। यह तब होता है जब पेट के अंदर जुड़वा भ्रूण में एक पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता और दूसरे के शरीर से जुड़ा रह जाता है। डॉक्टर के अनुसार इस तरह के मामले लाखों में से एक होते हैं और दुनिया में केवल 40 मामले ही दर्ज किए गए हैं। यानी 40 में से एक लड़का यह भी था। पिछले 17 साल से लड़का चार पैरों के साथ जी रहा था।

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नाबालिग के पैर में दर्द होता था। उसके पेट और कमर में भी हल्का दर्द होता था, लेकिन इसके बावजूद वह अपनी दिनचर्या सामान्य तरीके से बिताता था। उसके परिजन पैदा होने के बाद से ही लगातार 17 सालों से उसे आसपास के अस्पतालों में लेकर गए लेकिन कहीं कोई फायदा नहीं हुआ। उन्नाव और लखनऊ के डॉक्टरों ने बताया कि पैर को हटाना खतरनाक हो सकता है, क्योंकि यह हार्ट से जुड़ा हो सकता है।

इसके बाद बच्चे के परिजनों के रिश्तेदार ने उसे एम्स ले जाने की सलाह दी। जनवरी के आखिरी हफ्ते में परिजन बच्चे को एम्स लेकर पहुंचे और डॉक्टरों ने तुरंत जांच शुरू कर दी। सिटी स्कैन से पता चला कि टांग को खून एक खास नस से मिल रहा था, जो आमतौर पर हार्ट को खून सप्लाई करती है। उसके पेट में बड़ा सिस्ट भी था।

12 डॉक्टरों ने किया ऑपरेशन

एम्स की मुख्य सर्जन डॉक्टर असुरी कृष्णा ने बच्चों का सीटी स्कैन करने के बाद एंजियोग्राफी कराई। इसके बाद 8 फरवरी को सर्जरी की तारीख तय की गई। यह सर्जरी दो हिस्सों में हुई। पहले हिस्से में डॉक्टरों ने दो पैरों को हटाया जबकि दूसरे हिस्से में सिस्ट को निकाला गया। सर्जरी के बाद बच्चे से करीब 13 किलोग्राम का अंग बाहर निकाला गया। सर्जरी में कुल 12 डॉक्टर शामिल थे।