अगले महीने 26 मार्च को राज्यसभा की 55 सीटों के लिए मतदान होने हैं। उससे पहले सभी पार्टियों में राज्यसभा जाने के इच्छुक नेताओं की लॉबिंग शुरू हो चुकी है। कांग्रेस में भी संसद के ऊपरी सदन की दौड़ लगाने को कई नेता बेकरार हैं। इनमें युवा से लेकर वरिष्ठ कांग्रेसी और पार्टी पदाधिकारी भी शामिल हैं। सबसे दिलचस्प कहानी महाराष्ट्र की है, जहां एक सीट के लिए कांग्रेस के अंदर छह-छह दावेदार हैं। दावेदारों में सबसे आगे AICC महासचिव मुकुल वासनिक और गुजरात में पार्टी प्रभारी राजीव साटव का नाम चल रहा है।
कांग्रेस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी में टिकट के दावेदारों ने लॉबिंग तेज कर दी है। ऐसे नेताओं में मुकुल वासनिक और राजीव साटव के अलावा कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल, कांग्रेस मीडिया सेल के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला और झारखंड कांग्रेस के प्रभारी आर पी एन सिंह का भी नाम शामिल है। पार्टी के अंदर ऐसे 11 चेहरे हैं जिन्होंने या तो 2019 लोकसभा चुनाव में सीट हारी थी या जिनका मौजूदा राज्यसभा सांसद का कार्यकाल अप्रैल में खत्म हो रहा है, वे सभी टिकट चाह रहे हैं। जिनका कार्यकाल खत्म हो रहा है उनमें दिग्विजय सिंह, मधुसूदन मिस्त्री, कुमारी सैलजा और मोतीलाल बोरा का नाम शामिल है। ये सभी नेता दोबारा सदन में वापसी की दावेदारी पेश कर चुके हैं।
कांग्रेस को उम्मीद है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और गुजरात से दो-दो और महाराष्ट्र, हरियाणा से एक-एक सीट जीतेंगे। इसके अलावा कांग्रेस को उम्मीद है कि विपक्षी महागठबंधन की बदौलत बिहार में भी एक सीट और लेफ्ट के सहयोग से पश्चिम बंगाल में भी एक राज्यसभा सीट पर जीत दर्ज कर सकते हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को लेकर भी चर्चा तेज है। उम्मीद जताई जा रही है कि प्रियंका मध्य प्रदेश से संसद के ऊपरी सदन में पहुंच सकती हैं।
गुजरात की दो सीटों के लिए पांच दावेदार बताए जा रहे हैं। मौजूदा राज्यसभा सांसद मधुसूदन मिस्त्री ने दोबारा सदन में जाने की दावेदारी पेश की है। इनके अलावा बिहार कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल, एमपी कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी और सागर राइका भी मैदान में हैं।
मध्य प्रदेश में दो बड़े नेताओं के नाम दावेदार के तौर पर चर्चा में है। एक दिग्विजय सिंह, जो सेवानिवृत्त हो रहे हैं और दूसरे ज्योतिरादित्य सिंधिया, जो कमलनाथ के साथ लड़ाई में सीएम नहीं बन सके। AICC की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को राज्यसभा में भेजने की चर्चा सिंधिया-नाथ की लड़ाई का नतीजा बताया जा रहा है। राजस्थान से भी प्रियंका को नामांकित करने के लिए हलचल है। वहां भी इसे अशोक गहलोत और सचिन पायलट की लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है।