वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों की खरीद से जुड़े कथित घोटाले का मामला बुधवार को संसद में गर्माया रहा। इस मुद्दे पर हो रही चर्चा के दौरान बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने यूपीए और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। स्वामी के संबोधन के दौरान कई बार हंगामा भी हुआ।
READ ALSO: AgustaWestland: रास में स्वामी पर आजाद का हमला, कहा-इस शख्स को सड़क-संसद का फर्क नहीं पता
स्वामी ने संबोधन के अहम बिंदु
>यह सही है कि एनडीए ने 1998 में खरीदे गए 6 पुराने हेलिकॉप्टरों को बदलने के लिए आठ नए हेलिकॉप्टरों को खरीदने की प्रक्रिया शुरू की।
>यह कहना गलत है कि एनडीए सरकार ने सबसे पहले ऊंचाई से जुड़े मानकों (हेलिकॉप्टरों की) में तब्दीली की।
>उस वक्त मकसद यह था कि वीवीआईपी सियाचीन या नाॅर्थ ईस्ट जैसे सुदूर के इलाकों में आसानी से उड़ान भर सकें।
>इस वजह से इन हेलिकॉप्टरों का 6000 मीटर से ऊपर उड़ान भरना जरूरी था ताकि ये कंधे से चलाए जाने वाले रॉकेट लॉन्चर्स की जद से बाहर हों।
>ऊंचाई के इन मानकों में कमी की गई क्योंकि अगस्ता वेस्टलैंड के हेलिकॉप्टर 4500 मीटर के ऊपर उड़ान नहीं भर सकते थे।
>जिन लोगों ने ऊंचाई के मानक में कमी की, वे एनडीए के नहीं थे। यह कहना झूठ होगा कि एनडीए सरकार ने ऊंचाई के मानकों में बदलाव किया।
>फील्ड ट्रायल में वे AW101 हेलिकॉप्टर नहीं इस्तेमाल हुए, जिन्हें खरीदा गया। अन्य हेलिकॉप्टरों से ट्रायल हुआ। यह खुद में एक फ्रॉड है।
>असल में प्रस्ताव आठ हेलिकॉप्टर खरीदने का था। जब यह साफ हो गया कि अगस्ता ही सिर्फ क्वालिफाई करेगा, उन्होंने (यूपीए) ने चार और हेलिकॉप्टर खरीदने का फैसला किया।
>सीएजी ने जब यह कह दिया था कि तत्कालीन 8 हेलिकॉप्टर का ही पूरा इस्तेमाल नहीं हो पा रहा, फिर चार अतिरिक्त खरीदने की जरूरत क्या थी?
>एयरफोर्स ने जनवरी 2006 में इस डील के लिए बेंचमार्क एस्टीमेट 793 करोड़ रुपए का दिया। इसे तत्कालीन रक्षा मंत्री एंटनी ने मंजूरी दी।
>सितंबर 2008 में, कॉन्ट्रैक्ट को लेकर निगोशियशन कमेटी ने डील की कीमत 4877.5 करोड़ रुपए तय की, जो करीब छह गुना ज्यादा थी।
>वो कौन सी अथॉरिटी थी, जिसने एंटनी के फैसले को बदल दिया?जहां तक मेरी अपनी जानकारी है, मैं कहूंगा कि वे मनमोहन सिंह नहीं थेे।
Uproar in Rajya Sabha during discussion on #AgustaWestland issue. pic.twitter.com/h4RnpHAssq
— ANI (@ANI_news) May 4, 2016