दिल्ली की सीमा पर बैठे किसानों के विरोध प्रदर्शन को 83 दिन हो गए हैं। हालांकि सरकार और किसानों के बीच कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध बना हुआ है लेकिन इस बीच सिंघू बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर विरोध कर रहे किसानों की संख्या कम होती दिख रही है।

जहां किसानों के विरोध प्रदर्शन को 3 महीने पूरे होने वाले हैं ऐसे में कई किसान अपने गांव को लौट चुके हैं। एक अनुमान के मुताबिक पहले जहां हजारों किसान दिल्ली की सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे वहीं अब उस संख्या के आधे भी नहीं रह गए हैं।

हालांकि इस मामले में किसानों का कुछ और ही कहना है। किसानों का कहना है, ”…क्योंकि हमारी लड़ाई बहुत लंबी चलने वाली है इसलिए ये हमारी रणनीति है। किसानों के दिल्ली सीमा पर बैठे ना रहने से किसान विरोध प्रदर्शन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जो किसान अपने घरों को लौट रहे हैं वह गांव में हमारे आंदोलन को मजबूत करेंगे।”’

किसानों का कहना है कि अब इस आंदोलन का लक्ष्य अलग-अलग राज्यों में रैलियों के जरिए इस आंदोलन के लिए समर्थन जुटाना है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने देश के अलग-अलग हिस्सों में महापंचायत के जरिए किसानों के लिए समर्थन मांगा है। टिकैत हरियाणा, महाराष्ट्र और राजस्थान में आने वाले दिनों में कई पंचायतों में हिस्सा लेंगे।

बता दें कि पिछले महीने से ही किसान और सरकार के बीच बातचीत आगे नहीं बढ़ सकी है। कोई भी पक्ष अपनी बात से पीछे हटने को तैयार नहीं है। जहां किसानों ने सरकार के 18 महीने तक कानूनों को स्थगित करने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है वहीं सरकार का भी कहना है कि हम इस प्रस्ताव से ज्यादा किसानों को कुछ दे नहीं सकते हैं।