कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी इन दिनों बागी तेवर में नजर आ रहे हैं। उन्होंने “अग्निपथ योजना” को लेकर विपक्षी दलों के विरोध पत्र पर साइन करने से इन्कार कर दिया। दरअसल, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार (11 जुलाई, 2022) को विपक्षी दलों के साथ एक बैठक कर अग्निपथ योजना के बारे में प्रस्तुति दी। वहीं, कुछ विपक्षी दलों के सांसदों ने योजना को लेकर अपनी आपत्ति जताई और इसे वापस लेने की मांग की।

योजना की वापसी के संबंध में विपक्षी दलों ने एक ज्ञापन भी केंद्रीय मंत्री को सौंपा, जिस पर कांग्रेस नेता मनीष तिवारी के अलावा, सभी सांसदों ने हस्ताक्षर किए। हालांकि, तिवारी ने मौखिक रूप से अग्निपथ योजना के विरोध का समर्थन किया, लेकिन उन्होंने पत्र पर साइन करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि वह सेना के आधुनिकीकरण के पक्ष में हैं लेकिन अग्निपथ को लागू करने के खिलाफ हैं।

इस पत्र पर कांग्रेस के शक्तिसिंह गोहिल, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंद्योपाध्याय और सौगत रॉय, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले और राष्ट्रीय जनता दल के एडी सिंह समेत छह विपक्षी सांसदों ने हस्ताक्षर किए है। सूत्रों के मुताबिक, शक्ति सिंह गोहिल ने विशेषज्ञों और उत्कृष्ट सैनिकों द्वारा इसकी आलोचना का हवाला देते हुए योजना को वापस लेने की मांग की।

उन्होंने कहा कि इससे बलों का मनोबल प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि इसे एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जाना चाहिए और प्रशिक्षित लोगों को सेना में भर्ती करना चाहिए। राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा समिति में 20 सदस्य हैं, जिसमें 13 सदस्य लोकसभा से और लगभग 7 सदस्य राज्यसभा से हैं।

गौरतलब है कि पिछले महीने अग्निपथ योजना को लेकर यूपी, बिहार समेत कई उत्तरी राज्यों में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे। एक सप्ताह तक चले इस विरोध को कई विपक्षी दलों ने समर्थन भी दिया और योजना को वापस लेने की भी मांग की। वहीं, इस सप्ताह की शुरुआत में भारतीय वायु सेना ने बताया कि इस योजना के तहत तकरीबन 7.5 लाख आवेदन प्राप्त हुए हैं।