विरोध कर रहे किसानों ने मंच को क्षतिग्रस्त कर दिया। उन्होंने नारेबाजी करते हुए अस्थाई हेलिपैड पर कब्जा जमा लिया, उसे भी क्षतिग्रस्त कर दिया। नतीजतन मुख्यमंत्री के हेलिकॉप्टर के वहां पहुंचने के बाद उसे लौट जाना पड़ा। प्रदर्शन कर रहे किसानों पर काबू पाने के लिए पुलिस ने पानी की बौछारें डालीं, लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे।
दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों के धरना प्रदर्शन के बीच आंदोलन रविवार को उग्र होता दिखा, जब किसानों और पुलिस में सीधा टकराव हुआ। किसान कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे। कैमला गांव में सभास्थल पर सुरक्षा में तैनात सुरक्षाबलों और स्थानीय पुलिस ने पहले उन्हें लाठीचार्ज कर तितर-बितर करना चाहा। बाद में आंसू गैस के गोले दागे।
इससे पहले पुलिस ने कैमला गांव की ओर किसानों के मार्च को रोकने लिए उन पर पानी की बौछारें कीं और आंसू गैस के गोले छोड़े। हंगामे के दौरान प्रदर्शनकारी कार्यक्रम स्थल तक पहुंच गए और ‘किसान महापंचायत’ कार्यक्रम को बाधित किया। उन्होंने मंच को क्षतिग्रस्त कर दिया, कुर्सियां, मेज और गमले तोड़ दिए। किसानों ने अस्थायी हेलीपेड का नियंत्रण भी अपने हाथ में ले लिया जहां मुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर उतरना था।
भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) ने ‘किसान महापंचायत’ का विरोध करने का एलान किया था। प्रदर्शन कर रहे किसान काले झंडे लिए हुए थे और भाजपा नीत सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कैमला गांव की ओर मार्च करने की कोशिश कर रहे थे। पुलिस ने गांव के प्रवेश स्थानों पर बैरीकेड लगा दिए ताकि वे कार्यक्रम स्थल तक नहीं पहुंच पाएं।
किसान कैमला गांव की ओर ट्रैक्टर, कारों और मोटरसाइकिल पर वहां पहुंचे थे। स्थिति तब तनावपूर्ण हो गई जब किसान इस बात पर अड़ गए कि वे मुख्यमंत्री को कार्यक्रम नहीं करने देंगे। पुलिसकर्मी प्रदर्शनकारी किसानों को शांत करने की कोशिश करते दिखाई दिए लेकिन वे मंच पर कब्जा करने के लिए आगे बढ़ गए।
करनाल के एसपी गंगा राम पुनिया ने किसानों को शांत करने की कोशिश की, लेकिन किसानों ने पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड के पास धरना शुरू कर दिया। पुलिस ने कैमला रोड पर ट्रक और डंपर खड़े कर किसानों का रास्ता रोक दिया। चार एसपी और 12 से अधिक डीएसपी के नेतृत्व में आसपास के जिलों की पुलिस को अलग-अलग प्रवेश बिंदुओं पर तैनात किया गया। किसानों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए पुलिस ने दूसरे बैरिकेड के पास ट्रक खड़े किए। इसी दौरान पुलिस-किसानों के बीच झड़प भी हुई। किसान गांवों और खेतों की ओर चले गए। वहां पुलिस बल की तैनाती की गई।
खेतों के रास्ते गांव में पहुंचे किसानों ने मुख्यमंत्री का हेलीपैड क्षतिग्रस्त कर दिया और वहां अपना झंडा लगा दिया। सूचना है कि इस दौरान भाजपा समर्थकों ने भी कई जगह आंदोलनकारी किसानों पर हमले किए। इससे पहले दोपहर साढ़े 12 बजे हेलिकॉप्टर उड़ान भरकर सभा स्थल तक आया, लेकिन हेलीपैड के चारों ओर हजारों आंदोलनकारी किसानों की भीड़ देखकर मुख्यमंत्री का हेलिकॉप्टर लौट गया।
कृषि कानूनों पर आज सुनवाई
प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के साथ सरकार की बातचीत में गतिरोध बरकरार रहने के बीच उच्चतम न्यायालय नए कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं और दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई करेगा। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाले पीठ द्वारा सोमवार को की जानी वाली सुनवाई महत्वपूर्ण है क्योंकि केंद्र और किसान नेताओं के बीच 15 जनवरी को अगली बैठक निर्धारित है।
शीर्ष न्यायालय को केंद्र सरकार ने पिछली तारीख पर बताया था कि उसके और किसान संगठनों के बीच सभी मुद्दों पर ‘स्वस्थ चर्चा’ जारी है और इस बात की संभावना है कि दोनों पक्ष निकट भविष्य में किसी समाधान पर पहुंच जाएं। अदालत ने तब सरकार को भरोसा दिया था कि अगर वह उससे कहेगी कि बातचीत के जरिए समाधान संभव है तो वह 11 जनवरी को सुनवाई नहीं करेगी।
न्यायालय की कोई भूमिका नहीं : किसान संगठन
आॅल इंडिया किसान संघर्ष कॉर्डिनेशन कमेटी (एआईकेएससीसी) ने रविवार को कहा कि सरकार को नए कृषि कानूनों पर बने ‘राजनीतिक गतिरोध’ का समाधान उच्चतम न्यायालय के दखल के बगैर निकालना चाहिए। उसने चेतावनी दी कि प्रदर्शनकारी किसानों की कानूनों को रद्द करने की मांग नहीं मानी जाएगी तो वे ‘दिल्ली की सभी सीमाओं को जल्द ही बंद कर देंगे।’
संगठन ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा ‘कॉरपोरेट घरानों के दबाव’ में लागू किए गए कानूनों को लेकर बने गतिरोध को सुलझाने में उच्चतम न्यायालय की ‘भूमिका नहीं है और नहीं होनी चाहिए।’ संगठन ने कहा कि यह मामला ‘राजनीतिक नेतृत्व पर छोड़ देना चाहिए।’ एआईकेएससीसी ने आरोप लगाया कि सरकार उच्चतम न्यायालय का इस्तेमाल ‘राजनीतिक ढाल’ की तरह कर रही है। उसने एक वक्तव्य में कहा, ‘किसान सभी दिशाओं से दिल्ली को घेर रहे हैं और जल्द ही सभी सीमाओं को बंद कर देंगे।’
हंगामे के पीछे कांग्रेसी व कम्युनिस्ट : खट्टर
करनाल में हंगामे को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दावा किया है कि इसके पीछे कांग्रेसियों और कम्युनिस्टों का हाथ है। उन्होंने कहा, आज के घटनाक्रम के बाद लोगों को संदेश मिल गया है।
खट्टर ने कहा कि कैमला के कार्यक्रम में जो घटा है, वह किसान का स्वभाव नहीं है। इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने वाले लोगों को समर्थन मिलने वाला नहीं है।
सरकार के सामने आया है कि एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने उकसाने का काम किया है। इस तरह का वक्तव्य देना कि यह सभा नहीं होने देंगे, इससे माहौल खराब होता है। मेरे विषय में यह कहा जाना कि मरोड़ निकाल देंगे, इन सब घटनाओं से मानसिकता का परिचय मिल गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कैमला की रैली में करीब पांच हजार लोग सरकार को सुनने के लिए जुटे थे, लेकिन बीच में कुछ शरारती तत्व आ गए। प्रशासन के साथ उन लोगों की यह बात हुई थी कि वे सांकेतिक विरोध करेंगे और हम अपना कार्यक्रम करेंगे। उन्होंने कहा कि करनाल के लिए करीब 100 करोड़ की परियोजनाओं की घोषणा आज होनी थी। ग्रामीण इस बात का इंतजार कर रहे थे लेकिन वह नहीं हो सकी।