माइक्रो ब्लॉगिंग साइट टि्वटर ने टिक विवाद के बीच शनिवार शाम को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत और संगठन के अन्य पदाधिकारियों (संघ के सरकार्यवाह सुरेश सोनी, संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार, सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल और पूर्व सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी आदि) के हैंडल पर दिखने वाले ब्लू टिक बहाल कर दिए। टि्वटर ने इससे कुछ घंटों पहले उप-राष्ट्रपति एम.वैंकेया नायडू के अकाउंट का ब्लू टिक लौटाया था।

दरअसल, टि्वटर ने इन सभी के ब्लू टिक तब बहाल किए, जब केंद्र की ओर से शनिवार को नोटिस जारी कर सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म को तत्काल नए आईटी नियमों के अनुपालन के लिए ‘एक आखिरी मौका’ दिया था। सरकार ने आगाह किया गया है कि अगर ट्विटर इन नियमों का अनुपालन करने में विफल रहती है, तो वह आईटी कानून के तहत दायित्व से छूट को गंवा देगी।

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (मेइटी) ने कहा कि ट्विटर द्वारा इन नियमों के अनुपालन से इनकार से पता चलता है कि माइक्रोब्लॉगिंग साइट में प्रतिबद्धता की कमी है और वह भारत के लोगों को अपने मंच पर सुरक्षित अनुभव प्रदान करने का प्रयास नहीं करना चाहती। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारत में करीब एक दशक से अधिक से परिचालन के बावजूद यह विश्वास करना मुश्किल है कि ट्विटर ने एक ऐसा तंत्र विकसित करने से इनकार कर दिया है, जिससे भारत के लोगों को उसके मंच पर अपने मुद्दों के समयबद्ध और पारदर्शी तरीके से उचित प्रक्रिया के जरिये हल में मदद मिलती।’’

मंत्रालय ने कहा कि ये नियम हालांकि 26 मई, 2021 से प्रभावी हैं, लेकिन सद्भावना के तहत टि्वटर इंक को एक आखिरी नोटिस के जरिये नियमों के अनुपालन का अवसर दिया जाता है। उसे तत्काल नियमों का अनुपालन करना है। यदि वह इसमें विफल रहती है, तो उसे दायित्व से जो छूट मिली है, वह वापस ले ली जाएगी। साथ ही उसे आईटी कानून और अन्य दंडात्मक प्रावधानों के तहत कार्रवाई के लिए तैयार रहना होगा। नोटिस में हालांकि यह नहीं बताया गया है कि ट्विटर को इन नियमों का अनुपालन कब तक करना है।

सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट्स में बताया गया कि ट्विटर ने नायडू के मामले में कहा, लंबे समय से अकाउंट में लॉग इन नहीं किया गया। इस वजह से ये कदम उठाया गया। बताया गया कि वेंकैया नायडू के अकाउंट से पिछली जुलाई से ही कोई ट्वीट नहीं हुआ था। नायडू के पहले अनवेरिफाई किए गए अकाउंट में 13 लाख फॉलोअर्स थे। बताया गया है कि इस मुद्दे पर भाजपा नेताओं ने नाराजगी जाहिर की। इसे लेकर सबसे पहले मुंबई भाजपा के प्रवक्ता सुरेश नखुआ ने टिप्पणी की थी। उन्होंने ट्वीट कर के ट्विटर को कोसते हुए कहा कि उपराष्ट्रपति के अकाउंट से ब्लू टिक हटाना भारत के संविधान पर हमला है।

उधर, भागवत के ट्विटर हैंडल पर करीब 2 लाख 6 हजार फॉलोअर्स हैं। संघ प्रमुख के अकाउंट से ब्लू टिक हटने पर राजनीतिक विश्लेषक शहजाद पूनावाला ने कहा था कि ट्विटर की यह हरकतें उसके भेदभाव, एजेंडे और राजनीतिक तरजीह के बारे में जानकारी देती है। क्या इसकी कोई जवाबदेह या निष्पक्षता है?

आईटी रूल्स पर केंद्र और ट्विटर में ठनी: आईटी रूल्स पर केंद्र सरकार और ट्विटर के बीच विवाद थम नहीं रहा है। केंद्र सरकार की तरफ से शनिवार को ट्विटर को फाइनल नोटिस जारी किया गया। इस नोटिस में ट्विटर को सख्त लहजे में चेताते हुए कहा गया है कि वो या तो नियम माने या फिर भारतीय कानूनों के मुताबिक नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहे। बता दें कि केंद्र सरकार ने 25 फरवरी को बनाए गए नए आईटी रूल्स में सरकार ने साफ कर दिया था कि जिस भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के 50 लाख से ज्यादा यूजर होंगे, उन्हें भारत में शिकायत अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी। इन गाइडलाइंस के पालन के लिए 3 महीने का वक्त दिया गया था। 25 मई को इसकी सीमा खत्म हो गई।

आईटी मंत्रालय की ओर से नए नियमों को लेकर 26 मई को पहली बार ट्विटर को नोटिस भेजा गया था। उसके बाद 28 मई और 2 जून को भी नोटिस जारी किया गया। हालांकि, इस बीच ट्विटर ने दिल्ली हाईकोर्ट में बताया गया था कि उसने 28 मई को शिकायत अधिकारी की नियुक्ति कर दी है। पर सरकार ने इससे असंतुष्टि जताते हुए अब शनिवार को आखिरी नोटिस भेजा है। (भाषा इनपुट्स के साथ)