जम्मू- कश्मीर से अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद 28 महीनों में सुरक्षा पर खर्च काफी बढ़ गया है। गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट (2020-2021) में कहा गया है, ‘सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर सरकार को सुरक्षा संबंधी व्यय (पुलिस) योजना के तहत 9,120.69 करोड़ रुपए प्रदान किए। इस राशि में 448.04 करोड़ रुपए शामिल हैं, जो 31 दिसंबर, 2020 तक जम्मू-कश्मीर के विभाजन के बाद से खर्च किए गए थे।’ यह खर्च पहले की तुलना में 1781.66 करोड़ रुपए ज्यादा है। सीमा पार से घुसपैठ कम हुई है। घुसपैठ की घटनाएं कम होकर 99 पर आ गई हैं। इस साल इनके घटकर 51 तक होने का अनुमान है।
गृह मंत्रालय के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा का विशेष ढांचा तैयार किया गया। 14 नई (स्पेशियालाइज्ड) बटालियन खड़ी की गई। प्रदेश के लिए पांच इंडिया रिजर्व (आइआर) बटालियन, दो बार्डर बटालियन और दो महिला बटालियन बनाने को मंजूरी दी गई। इनमें पांच आइआर बटालियन के लिए भर्ती पहले ही पूरी हो चुकी है।
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की निगरानी नियमित रूप से जम्मू-कश्मीर सरकार, सेना, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) और अन्य सुरक्षा एजंसियों द्वारा की जाती है। सभी एजंसियां रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर केंद्र शासित प्रदेश की सुरक्षा पर बारीकी से नजर बनाए रखती हैं।
प्रदेश में 9,120.69 करोड़ की राशि विशेष सुरक्षा पर खर्च की गई है। पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 हटाने के साथ ही अनुच्छेद 370 और 35 (ए) को भी रद्द कर दिया गया था। सालाना रिपोर्ट में यह भी जिक्र है कि प्रधानमंत्री विकास पैकेज (पीएमडीपी-2015) के तहत राज्य के लिए 80,068 करोड़ रुपए के विकास पैकेज की घोषणा की गई है, जिसमें 63 प्रमुख परियोजनाओं के लिए धन जारी किया गया है। 63 परियोजनाओं में से 54 परियोजनाएं 58,627 करोड़ रुपए के अनुमानित खर्च के साथ लागू की जा रही हैं। 20 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।