सुप्रीम कोर्ट की नाखुशी के बाद लद्दाख चुनाव विभाग ने करगिल में स्थानीय निकाय चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस को हल निशान देते हुए नई अधिसूचना जारी की है। नए आदेश के मुताबिक कारगिल में स्थानीय निकाय चुनाव अक्टूबर में कराया जाएगा। हालांकि नेकां अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला को अभी भी चुनाव विभाग के फैसले में खामी दिखती है। उनका आरोप है कि लद्दाख प्रशासन भेदभावपूर्ण तरीके से काम कर रहा है।

प्रशासनिक सचिव येतिंद्र एम मरालकार की तरफ से जारी अधिसूचना के मुताबिक पांचवी लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद-करगिल के लिए चार अक्टूबर को चुनाव कराया जाएगा। अधिसूचना में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के छह सितंबर 2023 के आदेश की अनुपालना में हल निशान जम्मू कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस के लिए आरक्षित किया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने लगाया था लद्दाख प्रशासन पर 1 लाख रुपये का जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने नेशनल कांफ्रेंस को हल निशान के लिए हकदार बताया था। शीर्ष अदालत ने नेकां को यह निशान आवंटित करने का विरोध कर रहे लद्दाख प्रशासन की याचिका बुधवार को खारिज कर दी थी। उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। 51 पन्नों के आदेश में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि उसे लद्दाख प्रशासन की अपील में दम नजर नहीं आया।

शीर्ष अदालत ने कहा था कि हल चुनाव निशान आवंटित करने का नेशनल कांफ्रेंस का अनुरोध सही और वैध है। इसका कारण यह है कि पिछले जम्मू कश्मीर राज्य में उसे क्षेत्रीय दल की मान्यता मिली हुई थी। तब उसे हल निशान आवंटित किया गया था।

उमर अब्दुल्ला का कहना है कि लद्दाख प्रशासन शुरू से ही पक्षपात कर रहा है। उनका कहना है कि वो नहीं समझते हैं कि चुनाव सही तरीके से होंगे। उमर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद ही लद्दाख प्रशासन को सही गलत का फर्क समझ में आया है। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट दखल ना देता तो नेकां को हल का निशान नहीं मिल पाता।