मुख्यमंत्री ने मुआयना करने के बाद कहा कि इलाके का पुरातत्व विशेषज्ञों की टीम से सर्वे कराकर ऐतिहासिक क्षेत्र घोषित किया जाएगा। कोशी नदी किनारे गुवारीडीह में मिले तीन हजार साल पुराने अवशेष को देखकर उन्होंने कहा कि इन अवशेषों को देखने से लगता है कि कालांतर में यहां जरूर कोई ग़ांव रहा होगा। भले ही अब यह दियारा का क्षेत्र बन गया है।
साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि विशेषज्ञों की टीम बारीकी से इलाके का परीक्षण करेगी। यदि सचमुच रिपोर्ट में पुरातात्विक प्रमाण मिले तो कोशी की धारा को मोड़ने के लिए व्यापक कार्य कराया जाएगा। इससे पहले बांका के अमरपुर ब्लाक के भदरिया ग़ांव में चंदन नदी में पाषाण काल के पुरातात्विक अवशेष मिले थे। जिसे देखने भी आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहुंचे थे, जिसका उन्होंने जिक्र भी किया।
उन्होंने कहा कि भागलपुर और बांका जिला का इलाका पुरातात्विक पर्यटन केंद्र है। यहां पाषाण काल की विक्रमशिला उत्खनन में पहले ही निकल चुकी है। अब इन इलाकों में भी अवशेष मिलने से ऐतिहासिक धरोहर मिलने की संभावना बढ़ी है। गुवारीडीह के टीले देखकर कुछ अलग ही प्रमाण दिखाई दे रहे हैं। मुख्यमंत्री ने अवलोकन के साथ बाढ़ नियंत्रण पर भी वहां मौजूद आलाधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने उत्खनन से निकले मिट्टी के बर्तन, हिरण के सींग, मुहर, घड़ा, पुराने सिक्के, बड़ा चूल्हा, पत्थर के औजार, जानवर के दांत व हड्डियां, दस फीट मोटी दीवार बगैरह अवशेषों को बड़े इत्मीनान से देखा। ये सभी उनके अवलोकन के लिए टेबुल पर करीने से सजाई गई थी। उनके साथ मंत्री विजय चौधरी ,पूर्व पार्षद संजय सिंह , विहपुर के भाजपा विधायक शैलेन्द्र कुमार भी मौजूद थे।
ध्यान रहे कि गुवारीडीह इलाके का तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास व पुरातत्व विभागाध्यक्ष बिहारी लाल चौधरी और उनकी टीम ने पहले सर्वे किया था। इन्होंने गुवारीडीह को चंपा की ऐतिहासिक नगरीय सभ्यता बताया है। यह इलाका 25 एकड़ में फैला है। मगर कटाव की वजह से फिलहाल 17 एकड़ में सिमट गया है। इसके संरक्षण व सुरक्षा की नितांत जरूरत बताई जा रही है। मुख्यमंत्री के आज आने से इलाके के लोगों में इन ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण की उम्मीद जगी है।