1947 में भारत ब्रितानी हुकूमत की गुलामी से तो आजाद हो गया पर उसकी मुश्किल यहीं खत्म नहीं हुई। तब भारत करीब 562 देशी रियासतों में बंटा था। सरदार पटेल तब अंतरिम सरकार में उपप्रधानमंत्री के साथ देश के गृहमंत्री थे। जूनागढ़, हैदराबाद और कश्मीर को छोड़कर 562 रियासतों ने स्वेच्छा से भारतीय परिसंघ में शामिल होने की स्वीकृति दी थी।

वास्तव में, माउंटबेटन ने जो प्रस्ताव भारत की आजादी को लेकर सामने रखा था उसमें यह था कि भारत के 565 रजवाड़े भारत या पाकिस्तान में से किसी एक में विलय को चुनेंगे और वे चाहें तो अपने को स्वतंत्र भी रख सकेंगे।

इन 565 रजवाड़ों में ज्यादातर प्रिंसली स्टेट (ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य का हिस्सा) थे और ये सभी न सिर्फ भारत के हिस्से में आए बल्कि सभी ने एक-एक करके विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए। बाद में सरदार वल्लभ भाई पटेल की सूझ से बाकी के रियासत भी भारतीय परिसंघ में विलय को राजी हो गए।