उत्तर प्रदेश की वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि वजूखाने में शिवलिंग मौजूद है। ऐसे में ज्ञानवापी को लेकर काफी हलचल है। वहीं इस बीच मुथरा कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने के लिए दायर किये गये मुकदमे को अनुमति दे दी है। जिसके बाद से अब अदालती कार्यवाही का रास्ता साफ हो गया है। बता दें कि मथुरा में शाही मस्जिद श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी हुई है।

माना जा रहा है कि इस तरह के मुद्दे भाजपा और संघ के लिए आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर काफी उत्साहित करने वाले हैं। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि उम्मीद हैं कि ज्ञानवापी और ईदगाह के मामले अगले लोकसभा चुनाव 2024 तक जारी रहेंगे।

दरअसल संघ परिवार ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में एक शिवलिंग के पाये जाने को लेकर उत्साहित तो था ही लेकिन इसके साथ ही वाराणसी की दीवानी अदालत ने उस क्षेत्र को सील करने का आदेश देकर उसे जश्न मनाने का एक और मौका दे दिया।

इन मुद्दों पर फिलहाल भाजपा नेतृत्व की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया क्योंकि दोनों मुद्दे अदालत में विचाराधीन हैं और सर्वोच्च न्यायालय ज्ञानवापी से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार है। वहीं भाजपा के एक नेता का कहना है कि जब मस्जिद परिसर में एक शिवलिंग पाया गया है तो हम कैसे चुप रह सकते हैं?

भाजपा नेता ने कहा, “हमें लगता है कि अयोध्या आंदोलन की तरह, इसे भी गति मिलेगी और अदालतों को जनता के मूड का संज्ञान लेना होगा।” भाजपा के साथ काम करने वाले आरएसएस के एक पदाधिकारी ने कहा कि काशी और मथुरा के मुद्दे आने वाले वर्षों में राजनीतिक को आकार देंगे। जैसे अयोध्या ने एक बार किया था।

वहीं ज्ञानवापी विवाद मामले में हिंदू पक्षकारों के वकील ने अदालत में लिखित में दावा किया है कि काशी में यह संपत्ति भारत में इस्लामी शासन से बहुत पहले से भगवान आदि विश्वेश्वर की है। इसे औरंगजेब द्वारा जबरन कब्जा कर लिया गया था।

हिंदू पक्ष ने क्या कहा-

  • औरंगजेब ने अपने क्रूर शासन में मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश पारित किया था। यह भूमि किसी मुस्लिम, मुस्लिम निकाय या वक्फ बोर्ड की नहीं है।
  • किसी भी मस्जिद का निर्माण वक्फ संपत्ति पर ही किया जा सकता है। इस मामले में औरंगजेब ने कोई वक्फ नहीं बनाया था।
  • ज्ञानवापी मस्जिद केवल एक ढांचा है और इसे मस्जिद नहीं माना जा सकता।
  • हिंदू भक्त पहले से ही भगवान आदिविशेश्वर, देवी श्रृंगार गौरी और अन्य के देवताओं की पूजा कर रहे हैं, जो कि मस्जिद परिसर के भीतर मौजूद हैं।
  • देवता के चारों ओर परिक्रमा हिंदू कानून द्वारा मान्यता प्राप्त पूजा का एक अभिन्न अंग है।
  • हजारों की संख्या में भक्त परिक्रमा मार्ग से परिक्रमा करते हैं, और धार्मिक पर्व के दिनों में वे लाखों की संख्या में धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए इकट्ठा होते हैं।

ज्ञानवापी को लेकर चल रहे विवाद के तेजी से उभरने को लेकर विपक्षी दलों ने भाजपा पर हमला किया। उनका कहना है कि बीजेपी जान-बूझकर ज्ञानवापी का मुद्दा उठा रही है ताकि हम-आप असली मुद्दों से बहक जाएं। वहीं AIMIM चीफ असदुद्दीन औवैसी भी कह चुके हैं कि ज्ञानवापी में मस्जिद थी और कयामत तक रहेगी।