गजेंद्र सिंह
कालेधन पर अंकुश लगाने के लिए पांच साल पहले नवंबर में की गई नोटबंदी के बाद केंद्र सरकार ने 2000 रुपए मूल्यवर्ग के नोट शुरू कर दिए थे। तीन साल तक इस मूल्यवर्ग के 370.11 करोड़ नोट छापने के बाद अब सरकार ने अपने हाथ करीब-करीब खींच लिए हैं। एक साल के भीतर ही छपाई 97 फीसद कम हो गई थी। यानी 2016 के एक साल बाद ही 354 करोड़ से नोट की छपाई सिर्फ 11.15 करोड़ पर आ गई थी। दो साल से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) 2000 रुपए मूल्यवर्ग का कोई नोट नहीं छाप रहा है।
यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड की ओर से सूचना के अधिकार कानून के तहत दी गई है। इससे पहले मार्च में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर संसद में एक लिखित जवाब में यह जानकारी दे चुके हैं कि दो साल से 2000 रुपए के नोट नहीं छापे जा रहे हैं। जनसत्ता के सवाल के जवाब में भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड (बीआरबीएनएमपीएल) ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2015-16 से लेकर 2020-21 तक 2000 रुपए मूल्यवर्ग के 370.11 करोड़ नोट मुद्रित किए हैं। हालांकि भारतीय बाजार में कितने नोट जारी किए गए इस संबंध में उनके पास कोई जानकारी नहीं है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में 354 करोड़, 2017-18 में 11.15 करोड़, 2018-19 में 4.66 करोड़ नोट मुद्रित किए गए। वित्तीय वर्ष 2019-20 और 2020-21 में 2000 रुपए मूल्यवर्ग के कोई नोट बीआरबीएनएमपीएल की ओर से मुद्रित नहीं किए गए।
अभी बीआरबीएनएमपीएल कितने नोट छाप रहा है, इस संबंध में उसके पास कोई जानकारी नहीं है। आरटीआइ में नोट की छपाई बंद होने के कारण और इसके लिए जारी आदेश से संबंधित सवाल भी पूछा गया था जिसके बारे में कोई जवाब नहीं दिया गया है।
2000 रुपए के एक हजार पीस छापने पर आई लागत
आरटीआइ में वर्ष 2016 से लेकर मार्च, 2021 तक 2000 रुपए के नोट छापने में आई लागत से संबंधित सवाल पर बीआरबीएनएमपीएल ने बताया कि हर साल इनके खर्च में तब्दीली हुई। वित्तीय वर्ष 2016-17 में 2000 रुपए मूल्यवर्ग के एक हजार पीस छापने पर 3540 रुपए, 2017-18 में एक हजार पीस छापने पर 4180 रुपए और 2018-19 में 2000 रुपए मूल्यवर्ग के एक हजार पीस छापने पर 3530 रुपए का खर्च आया।
एक साल बाद ही 97 फीसद कम कर दी थी छपाई
मिली जानकारी के मुताबिक, आरबीआइ की ओर से वित्तीय वर्ष 2016-17 में 2000 रुपए मूल्यवर्ग के 354.29 करोड़ पीस छापे गए थे। एक साल बाद 2017-18 में इनकी छपाई 97 फीसद घटकर सिर्फ 11.15 करोड़ रह गई थी और तीसरे साल 2018-19 में तो और कम सिर्फ 4.66 करोड़ नोट ही 2000 रुपए मूल्यवर्ग के छापे गए हैं। इसके बाद दो साल से छपाई बंद है।
जनसत्ता की ओर से दायर सूचना के अधिकार कानून, 2005 के तहत आरबीआइ ने यह जानकारी दी है। नोटबंदी के बाद 2000 मूल्यवर्ग के नोटों के संबंध में जानकारी मांगने के लिए 20 अप्रैल, 2021 को पत्र आरबीआइ को भेजा गया था। जानकारी मांगी गई थी कि नोटबंदी के वर्ष 2016 लेकर मार्च, 2021 तक 2000 रुपए मूल्यवर्ग के कितने नोट की छपाई हुई थी और कितने नोट भारतीय बाजार में जारी किए गए हैं। आरबीआइ के मुद्रा प्रबंधन विभाग ने 18 मई, 2021 को पत्र भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड (बीआरबीएनएमपीएल) को कुछ सवाल जवाब देने को भेज दिया। बीआरबीएनएमपीएल की ओर से 25 मई 2021 को कुल 12 सवालों के जवाब में सिर्फ चार के ही उत्तर दिए गए हैं। बीआरबीएनएमपीएल ही नोटों की छपाई करता है।