बाबरी मस्जिद के पक्षकारों ने मांग की है कि उन्हें अधिग्रहित की गई 67 एकड़ जमीन में से ही पांच एकड़ जमीन दी जाए। ऐसा नहीं होनी की सूरत में वो मस्जिद के लिए मिलने वाली जमीन स्वीकार नहीं करेंगे। अंग्रेजी न्यूज चैनल टाइम्स नाऊ ने सूत्रों के हवाले से बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या में या इसके आसपास मस्जिद के लिए जमीन की खोज शुरू कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित भूमि का फैसला मंदिर पक्षकारों के समर्थन में सुनाते हुए सरकार से मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ जमीन देने के लिए कहा था। हालांकि मुस्लिम पक्षकारों की मांग है कि सरकार अधिग्रहित की गई 67 एकड़ जमीन से ही मस्जिद निर्माण के लिए जमीन दे। ऐसे में अगर सरकार इसे स्वीकार नहीं करती तो मुस्लिम पक्ष किसी दूसरे प्रस्ताव पर अपनी सहमति नहीं देगा।

हालांकि मस्जिद निर्माण के लिए सरकार से जमीन ली भी जाए या नहीं इसे लेकर अलग-अलग मत सामने आए हैं। बाबरी मस्जिद के मुद्दई हाजी महबूब खान ने सुप्रीम कोर्ट के फैसल पर तंज कसते हुए कहा, ‘हमें लॉलीपॉप नहीं चाहिए।’ ऐसे ही जमीयत-उलेमा-हिंद के अध्यक्ष मौलाना बादशाह खान ने कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, ‘हमने बाबरी मस्जिद की जमीन के लिए केस लड़ा, ना की किसी दूसरी जमीन के लिए। हम मस्जिद के लिए दूसरी जगह जमीन नहीं चाहते। इसके उलट हम राम मंदिर के लिए ही यह जमीन देते हैं।’ सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि केस में जमीयत-उलेमा-हिंद ने मुस्लिम पक्ष की तरफ से केस लड़ा था।

खान ने कहा कि अगर मुस्लिम मस्जिद बनाना चाहते हैं तो वो ऐसा खुद कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम जमीन खरीद सकते हैं और अपनी मस्जिद भी बना सकते हैं। हम किसी सरकार पर निर्भर नहीं हैं। अगर कोर्ट या सरकार हमारी भावनाओं को आत्मसात करना चाहती है तो उन्हें पांच एकड़ जमीन अधिग्रहित जमीन पर ही देनी चाहिए।’

इकबाल अंसारी ने, जो विवादित भूमि के मामले में मुख्य मुद्दई थे, कहा, ‘अगर वो हमें जमीन देना चाहते हैं तो उन्हें हमारी सुविधा और अधिग्रहित 67 एकड़ भूमि से ही देनी चाहिए।’

अयोध्या में मुस्लिम सामाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर यूसुफ खान ने कहा, ‘हमारी धार्मिक जरुरतों के लिए अयोध्या में काफी मस्जिदें हैं। सुप्रीम को ने जबसे मंदिर के पक्ष में अपना फैसला सुनाया तब से यह मामला शांत हो चुका है।’