आखिर वे कौन लोग हैं जो उत्तर प्रदेश की सरकार को बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं? सवाल बड़ा है। जिसका जवाब खोजने में पूरी योगी सरकार लगी हुई है। योगी आदित्यनाथ ने पांच साल की अपनी पहली सरकार में इस बात का दम्भ भरा था कि इस दौरान उत्तर प्रदेश में एक भी दंगा नहीं हुआ। बीती फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में अपनी सभी चुनावी सभाओं में उन्होंने इस बात का जिक्र भी किया। लेकिन उसके बाद आखिर ऐसा क्या हुआ कि योगी के दोबारा मुख्यमंत्री बनते ही प्रदेश के कई जिलों में जुमे की नमाज के दरम्यान प्रदेश का माहौल बिगाड़ने की कोशिश हुर्इं? ऐसा किसके इशारे पर किया गया?
कानपुर में तीन जून को राष्टÑपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री और प्रदेश के आला अधिकारियों के रहते दंगा हुआ। ऐसा दुस्साहस जिसकी कल्पना न प्रदेश के आला अधिकारियों ने की थी और न मुख्यमंत्री ने। चमनगंज इलाके से पथराव और प्रदेश का माहौल बिगाड़ने का जो सिलसिला शुरू हुआ वो देखते ही देखते प्रयागराज, फिरोजाबाद, आंबेडकरनगर, मुरादाबाद, सहारनपुर, हाथरस, अलीगढ़, लखीमपुर खीरी और जालौन तक पहुंच गया। जुमे की नमाज अता करने के बाद हजारों की संख्या युवाओं का हुजूम हाथों में पत्थर लिए निकला और उसने जगह-जगह सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया।
कानपुर समेत प्रदेश के दस जिले अल्पसंख्यकों के एकतरफा पथराव के गवाह बने। इस दौरान स्थानीय खुफिया तंत्र पूरी तरह नाकाम साबित हुआ। हालांकि बाद में इन जिलों के आला अधिकारियों ने दबी जुबान में कहा कि उन्हें एलआइयू ने माहौल खराब होने की सूचना दी थी। लेकिन वो इस बात से मुतमईन थे कि उन्होंने मुसलिम धर्मगुरुओं से जुमे के पहले बात कर ली थी और धर्मगुरुओं ने उन्हें शांतिपूर्ण नमाज अता करने का भरोसा दिलाया था।
बड़ा सवाल यह है कि तीसरी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी, जिसमें 80 हजार करोड़ रुपए का निवेश प्रदेश की सरकार ला पाने में कामयाब हुई, उसके ठीक बाद माहौल बिगाड़ने की कोशिश हुई। 28 व 29 मई को देवबंद में जमीयत-ए-उलेमा-ए-हिंद की दो दिवसीय कान्फ्रेंस के बाद प्रदेश का सांप्रदायिक माहौल अचानक बिगड़ा। प्रदेश के एक उच्च खुफिया अधिकारी बताते हैं कि दरअसल उत्तर प्रदेश का माहौल बिगाड़ कर प्रदेश का एक खास वर्ग राज्य सरकार को कानून व्यवस्था के मसले पर कठघरे में खड़ा करने की साजिश रच रहा है।
उन्होंने बताया कि इस बात के पुख्ता सुबूत हैं कि प्रदेश के कुछ मुसलिम धर्मगुरुओं ने माहौल बिगाड़ने का सूत्रपात किया। लेकिन किसके इशारे पर? इस बात की गहन तस्दीक जारी है। ऐसे 36 मौलानाओं को चिन्हित किया जा चुका है जो इस षड्यंत्र में अहम किरदार अदा कर रहे थे।
प्रदेश के दस जिलों में माहौल को बिगाड़ने की साजिश पर आदित्यनाथ बेहद नाराज हैं। उन्होंने रविवार को पांच कालीदास मार्ग स्थित अपने सरकारी आवास पर ग्रह विभाग की समीक्षा बैठक की। मुख्यमंत्री ने अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी को निर्देश दिया है कि मामले में एक-एक व्यक्ति की सीसीटीवी और अन्य वीडियो के माध्यम से पहचान कर सख्त कार्रवाई करें। अभी तक इस मामले में प्रदेश के दस जिलों में 333 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।
मुख्यमंत्री ने आला अधिकारियों से कहा है कि वे इस बात की गहन पड़ताल करें कि आखिर घटना के मुख्य साजिशकर्ताओं के पास जो धन आया, उसका असल स्रोत दरअसल है क्या? अब तक हुई गिरफ्तारियों पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सीसीटीवी में जितने भी आरोपी कैद हैं, उनमें से किसी को भी बख्शा नहीं जाए।
इस बाबत भाजपा के विधान परिषद सदस्य विजय बहादुर पाठक कहते हैं, उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार में कानून का ही राज रहेगा। हम किसी भी सूरत में ऐसे किसी आरोपी को छोड़ेंगे नहीं, जिसने प्रदेश की शांति को भंग करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि दस जिलों का माहौल बिगाड़ने में जो भी शामिल था, उनके विरुद्ध राज्य सरकार ऐसी कठोर कार्रवाई करेगी कि वह नजीर बनेगी।