सिटिंग जज से उलझने का खामियाजा क्या होता है ये बात गुजरात हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट पर्सी केविना से बेहतर और कोई नहीं समझ सकता। जस्टिस से अभद्रता के मामले में अपनी गर्दन बचाने के लिए एडवोकेट ने हर उस दर पर सिर झुकाया जहां से माफी मिल सकती थी। अलबत्ता बात नहीं बन सकी। गुजरात हाईकोर्ट ने उसके खिलाफ न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने के आरोप के तहत अवमानना की कार्रवाई शुरू कर दी।

जस्टिस एएस सुपेहिया और जस्टिस एमआर मेंगेडे की बेंच ने हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को आदेश दिया कि वो मामले की रिपोर्ट तैयार करने के साथ सीनियर एडवोकेट के पते की भी तसदीक करे। बेंच का कहना था कि संविधान के आर्टिकल 215 और कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट के तहत स्वतः संज्ञान लेकर ये एक्शन लिया जा रहा है। अदालत ने कहा कि सीनियर एडवोकेट ने ये ध्यान नहीं रखा कि सिटिंग जज से अभद्रता न्यायपालिका की साख को गिराती है। आरोप है कि पर्सी केविना ने जज के खिलाफ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया था जिन्हें किसी भी नजरिये से ठीक नहीं कह सकते।

जिस जज से की थी अभद्रता, वकील ने जाकर मांगी माफी पर फिर भी उलझ गया मामला

एडवोकेट ने अपनी जान बचाने के लिए बेंच से दरख्वास्त की कि वो अवमानना की कार्रवाई शुरू न करे। वो बिना शर्त माफी मांगने को तैयार है। बेंच ने वकील से कहा कि वो उन जज से माफी मांगे जिनसे उसने अभद्रता की थी। वकील तुरंत गया और जज से माफी मांग ली। लेकिन पेंच तब फंस गया जब जज ने अपने फैसले में एडवोकेट के माफी मांगने का जिक्र तो किया लेकिन उनको माफ करने के बारे में एक शब्द भी नहीं लिखा। उनका कहना था कि इस मामले में अभी तक कार्रवाई शुरू नहीं हुई है तो वकील को डबल बेंच के सामने अपनी बात रखनी चाहिए।

हाईकोर्ट ने कहा- जज ने माफीनामा स्वीकृत किया या नहीं, ये उनके आदेश में साफ नहीं हो सका

वकील ने जी तोड़ कोशिश की कि उसके खिलाफ कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट की कार्रवाई शुरू न होने पाए। लेकिन हाईकोर्ट ने कहा कि जिस जज से अभद्रता की गई थी उन्होंने अपने आदेश में ये नहीं लिखा कि माफीनामा उन्होंने स्वीकार किया कि नहीं। लिहाजा वकील के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाती है। अगली सुनवाई की तारीख 17 जुलाई तय की गई है।